हर साल 12 जनवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन असंख्य युवाओं के प्रेरणास्रोत, प्रकाण्ड विद्वान स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो अपने विचारों, आदर्शों और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। यह दिन युवाओं को प्रेरित करने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
स्वामी विवेकानंद ने हमेशा युवाओं की शक्ति को पहचाना और उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य खोजने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा था, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।” उनके ये शब्द आज भी हर युवा के जीवन में नई ऊर्जा और साहस भरते हैं।
विवेकानंद मानते थे कि युवाओं के पास देश को बदलने की शक्ति है। उनका मानना था कि यदि युवा अपने अंदर की ताकत को पहचान लें तो वह दुनिया का हर कार्य करने में सक्षम हो जाएंगे।
राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका
भारत एक युवा देश है, जहाँ 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 साल से कम उम्र की है। यह युवा शक्ति देश के विकास का आधार है। यदि युवा अपने विचारों और कार्यों को सही दिशा में लगाएँ, तो भारत हर क्षेत्र में तरक्की कर सकता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस हमें याद दिलाता है कि हर युवा में असीम संभावनाएँ छिपी होती हैं। आज के युवा न केवल अपने भविष्य, बल्कि देश और समाज के लिए भी जिम्मेदार हैं।
कैसे बनें प्रेरणादायक युवा?
- अपने लक्ष्य तय करें: जीवन में एक स्पष्ट उद्देश्य होना जरूरी है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मेहनत और धैर्य से काम करें।
- स्वास्थ्य का ध्यान रखें: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों का ख्याल रखना सफलता की कुंजी है।
- नए कौशल सीखें: अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए हमेशा तैयार रहें। यह आपको न केवल व्यक्तिगत, बल्कि पेशेवर जीवन में भी आगे बढ़ाएगा।
- समाज के लिए काम करें: दूसरों की मदद करने से आत्म-संतुष्टि मिलती है। अपने आसपास के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
एक नई शुरुआत का दिन
राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं के लिए एक नई शुरुआत का दिन है। इस दिन युवाओं को अपने अंदर की ऊर्जा को पहचानना चाहिए और अपने सपनों को साकार करने के लिए रणनीति बनाकर आगे बढ़ना चाहिए।
देश के सभी युवा इस दिन को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के साथ मनाएँ और अपने देश को और भी गौरवशाली बनाने के लिए सतत कार्य करने का संकल्प लें।
स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त परिचय
स्वामी विवेकानंद एक महान संत, विचारक और प्रेरक व्यक्तित्व थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। बचपन से ही वे आध्यात्मिकता और ज्ञान के प्रति आकर्षित थे। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य के रूप में उन्होंने भारतीय संस्कृति और वेदांत का गहन अध्ययन किया।
1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में उनके प्रभावशाली भाषण ने भारत को विश्व पटल पर गौरवान्वित किया। उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भरता, राष्ट्रप्रेम और सकारात्मक सोच का संदेश दिया।
स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। 39 वर्ष की आयु में 4 जुलाई 1902 को उनका महाप्रयाण हुआ।
स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन
- पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।
- सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी वह एक सत्य ही होगा।
- जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
- एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।
- खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
- हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।