उमंग की कहानी पढ़ें - Narayan Seva Sansthan

कृत्रिम अंग ने हल कर दी उमंग की जन्मजात समस्या

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सफलता की कहानी: उमंग

उमंग अस्ताया (14) जन्मजात शारीरिक चुनौतियों के कारण जीवन की सामान्य गतिविधियों से वंचित रह गया। शाहजहांपुर के ग्राम टाण्डा खुर्द निवासी यह बालक जन्म से ही बांए हाथ और दाएं पांव की लंबाई छोटे होने की समस्या से जूझ रहा था। इस कमी के कारण वह एक पांव पर फुदक कर चलता था, स्कूल जाना और दैनिक कार्य उसके लिए बहुत कठिन हो गए। स्कूल को छोड़ना भी पड़ता था।
पिता दिनेश और माता ममता बाई ने मजदूरी करते हुए परिवार के भरण-पोषण के साथ उमंग की समस्या का हल ढूंढने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं मिला। इस बीच, गांव के सरपंच ने उन्हें नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए उन्हें उदयपुर स्थित संस्थान जाने की सलाह दी।

12 दिसंबर 2024 को संस्थान पहुँचने पर प्रॉस्थेटिक और ऑर्थोटिस्ट टीम ने विशेष जांच कर 13 दिसंबर को उमंग के पांव का नाप लिया और 22 दिसंबर को एक विशेष कृत्रिम पांव तैयार कर उसे पहनाया। इस कृत्रिम पांव को पहनने के बाद उमंग के जीवन में बड़ा बदलाव आया। अब वह आसानी से चल-फिर सकता है और सामान्य लोगों की तरह जीवन यापन कर रहा है। उसने कहा, ‘अब मुझे चलने-फिरने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती।’ यह सुनकर उनके माता-पिता की आंखें खुशी से नम हो गई। उन्होंने कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि उमंग को इस तरह चलते-फिरते हम देख पाएंगे। संस्थान ने हमारे बेटे को एक नई जिंदगी दी है। इसके लिए हम संस्थान के आजीवन आभारी रहेंगे।

कृत्रिम पांव मिलने के बाद उमंग स्कूल तो जा ही रहा है, इसके साथ दोस्तों के साथ खेल-कूद में भी भाग लेता है। उसका सपना है कि वह बड़ा होकर शिक्षक बनेगा और समाज में सकारात्मक बदलाव की मुहिम में योगदान देगा।