बूटा सिंह की कहानी पढ़ें - Narayan Seva Sansthan
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बूटा सिंह की खोई खुशियाँ लौटा लाया संस्थान

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सफलता की कहानी: बूटा सिंह

पंजाब के मानसा जिले के किशनगढ़ फरवाही के रहने वाले बूटा सिंह और उनका परिवार खुशहाल जीवन जी रहा था। बूटा सिंह एक कंपनी में काम करते थे। शादी के कुछ माह बाद ही उनके जीवन में ऐसा तूफान आया कि पूरा परिवार संकट में पड़ गया। यह हादसा 28 मई 2023 को हुआ, जब रात के समय नौकरी से लौटते हुए वे एक गंभीर ट्रैक्टर दुर्घटना का शिकार हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ उनके परिवार और पत्नी को इस दुःखद घटना की सूचना दी गई। इस दुर्घटना ने उनके जीवन में असीम पीड़ा और संघर्ष ला दिया, क्योंकि उन्होंने इस हादसे में अपना दायां पैर खो दिया था।

अपनी पत्नी और परिवार के आंसुओं के बीच, बूटा सिंह ने अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ ही खो दीं और बैसाखियों के सहारे जीवन बिताने पर मजबूर होना पड़ा। किसी ने उन्हें सलाह दी कि वे जयपुर में कृत्रिम पैर बनवाएं। उन्होंने इसे आजमाया, लेकिन यह पैर वजनी होने के कारण चलने में तकलीफ देता था। फिर, 21 जुलाई को, उनके एक मित्र ने उन्हें नारायण सेवा संस्थान के लुधियाना में आयोजित निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग माप शिविर के बारे में बताया। इस शिविर में उनके कृत्रिम पैर का माप लिया गया और तीन महीने बाद फिटमेंट शिविर में उन्हें एक हल्का और आरामदायक नारायण लिम्ब दिया गया।

इस कृत्रिम पैर की मदद से अब बूटा सिंह पहले से कहीं अधिक आराम से चल सकते हैं। उन्होंने अपनी जीवन की खोई हुई खुशियों को फिर से पा लिया है और यह सब नारायण सेवा संस्थान और उसके दानदाताओं की मदद से संभव हो सका। बूटा सिंह आज जीवन में फिर से आत्मनिर्भरता के साथ नए सपने लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए वे संस्थान का बाराम्बार आभार व्यक्त करते हैं।