सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। यह माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या है जो आत्मसंयम, मौन साधना और पवित्र स्नान के लिए समर्पित है। इस बार मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान इसी दिन तीसरा शाही स्नान हो रहा है। साधु-संतों की भव्य शोभायात्रा और गंगा में डुबकी लगाने वाले लाखों श्रद्धालुओं का दृश्य अद्वितीय है जब लाखों लोग भगवान के जयकारों के बीच पूर्ण आस्था से संगम तट में स्नान के लिए प्रतिदिन आ रहे हैं।
मौनी अमावस्या 2025 तिथि एवं शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माघ मास की मौनी अमावस्या की तिथि 28 जनवरी को रात 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में सूर्योदय होने पर ही त्यौहार और अन्य शुभ मुहूर्तों की मान्यता है। ऐसे में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या आत्मशुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का पर्व है। यह व्रत मन और वाणी को शुद्ध करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मौन व्रत रखने और गंगा स्नान करने से आत्मा के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता के पांचवें अध्याय में कहा गया है:
योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः ।
सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ॥
अर्थात्, जो कर्मयोगी विशुद्ध बुद्धि युक्त हैं, अपने मन तथा इन्द्रियों को वश में रखते हैं और सभी जीवों की आत्मा में आत्मरूप परमात्मा को देखते हैं, वे सभी प्रकार के कर्म करते हुए कभी कर्मबंधन में नहीं पड़ते।
महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान
2025 के महाकुंभ में मौनी अमावस्या का तीसरा अमृत स्नान एक ऐतिहासिक अवसर होगा। इस दिन साधु-संतों, नागा साधुओं और श्रद्धालुओं की भव्य शोभायात्रा संगम की ओर प्रस्थान करेगी। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हुए लाखों श्रद्धालु अपने जीवन को पवित्र करेंगे और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करेंगे।
दान की महिमा
मौनी अमावस्या के दिन दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। इस बार की मौनी अमावस्या महाकुंभ के कारण और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि दान करने से मनुष्य का इस लोक के बाद परलोक में भी कल्याण होता है। दान देने से मनुष्य को सद्गति मिलती है।
सनातन परंपरा के धार्मिक ग्रंथों में दान के महत्व का विस्तारपूर्वक उल्लेख मिलता है। महाभारत में दानवीर कर्ण ने यह जानते हुए भी अपने कवच कुंडल दान कर दिए कि इंद्र देव उसके सामने किस उद्देश्य से भिक्षा मांगने के लिए भिक्षुक के रूप में खड़े हैं।
जब इन्द्र देव कर्ण के सामने उसके कवच और कुंडल मांगने लगे तब सूर्य देव ने अंगराज कर्ण को समझाया कि यदि अपने प्राणों की रक्षा करनी हो तो इन अमृतमय कवच-कुंडल का दान इन्द्र देव को मत देना। लेकिन कर्ण दानवीर था। सूर्योदय के समय स्नान के पश्चात भगवान सूर्य की पूजा करने के उपरांत कोई भी अगर कर्ण से कुछ मांगता तो वह उसे अवश्य देता था।
इसलिए अंगराज कर्ण ने सूर्यदेव के समझाने पर उनसे से कहा-
वृणोमि कीर्ति लोके हि जीवितेनापि भानुमन्।
कीर्तिमानश्नुते स्वर्गे हीनकीर्तिस्तु नश्यति।।
अर्थात हे सूर्यदेव! मैं जीवन देकर भी जगत में कीर्ति का ही वरण करूंगा। इसलिए कि कीर्तिमात व्यक्ति ही स्वर्गिक सुख भोगता है। जिसकी कीर्ति नष्ट हो जाती है, वह स्वयं भी नष्ट ही है।
यह कहते ही उसने अपने कवच कुंडल काटकर इन्द्र देव को दे दिए। आकाश से पुष्पवर्षा हुई। कवच कुंडल देते समय कर्ण के मुख पर तनिक विकार न आया। इसलिए अंगराज कर्ण को दानवीर कहा जाता है।
मौनी अमावस्या पर इन चीजों का करें दान
मौनी अमावस्या पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: मौनी अमावस्या 2025 कब है?
उत्तर: साल 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी।
प्रश्न: मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: मौनी अमावस्या पर जरूरतमंदों को अन्न,वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए।