हिंदू पंचांग में अमावस्या का विशेष महत्व है। जब यह अमावस्या फाल्गुन माह में आती है, तो इसकी महिमा और भी बढ़ जाती है। फाल्गुन अमावस्या न केवल आध्यात्मिक साधना का अवसर होती है, बल्कि पितरों की शांति, दान-पुण्य और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, तर्पण और दीन-हीन, असहाय लोगों को दान करने से जीवन के कष्टों का निवारण होता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इस विशेष दिन पर की गई पूजा और दान से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
फाल्गुन अमावस्या 2025 कब है? (When is Falgun Amavasya 2025)
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 27 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे से शुरू होकर 28 फरवरी को सुबह 06:14 बजे तक रहेगा। उदयातिथि और पंचांग को देखते हुए फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व (Importance of Falgun Amavasya 2025)
फाल्गुन अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। यह अमावस्या महाशिवरात्रि के आस-पास आती है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं, और जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करता है, उसे विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
यह दिन पिंडदान और पितृ तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। श्राद्ध पक्ष में सामान्यतः दिवंगत पूर्वजों की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है, लेकिन यदि किसी को तिथि ज्ञात न हो, तो मासिक अमावस्या पर पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
फाल्गुन अमावस्या पर तीर्थस्थलों में विशेष मेलों का आयोजन होता है। इस दिन पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन प्रयागराज के संगम पर देवताओं का वास होता है, इसलिए यहां स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है।
दान की महिमा
हिंदू धर्म में दान को अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि धन की तीन गतियाँ होती हैं—दान, भोग और नाश। इनमें से सबसे श्रेष्ठ गति दान को माना गया है। दान करने से न केवल दाता को पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि इससे समाज में संतुलन भी बना रहता है।
शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य को परोपकार अवश्य करना चाहिए। निर्धनों और असहायों की सहायता करने से ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि एक ब्राह्मणी ने मात्र एक आंवला दान करके भगवान शंकराचार्य को प्रसन्न कर लिया था, जिसके बाद उसके घर में सोने की वर्षा हुई थी।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी दान की महिमा का उल्लेख करते हुए लिखा है—
प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुँ एक प्रधान।
जेन केन बिधि दीन्हें दान करइ कल्यान॥
अर्थात, धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं, जिनमें से कलियुग में दान ही प्रमुख है। किसी भी प्रकार से दिया गया दान व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।
फाल्गुन अमावस्या पर क्या दान करें?
फाल्गुन अमावस्या पर विशेष रूप से अन्न और भोजन दान करने का महत्व बताया गया है। इस दिन किसी भूखे को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। आप नारायण सेवा संस्थान जैसे सेवा संगठनों के माध्यम से जरूरतमंदों को भोजन कराकर पुण्य के भागी बन सकते हैं।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: फाल्गुन अमावस्या 2025 कब है?
उत्तर: वर्ष 2025 में फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी।
प्रश्न: फाल्गुन अमावस्या किस देवता को समर्पित है?
उत्तर: फाल्गुन अमावस्या भगवान विष्णु को समर्पित है।
प्रश्न: फाल्गुन अमावस्या पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए।