14 January 2025

पहला अमृत स्नान : महाकुंभ मेला प्रयागराज

प्रयागराज की पावन धरती पर महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। जीवनदायिनी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर देश-विदेश से श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े हैं। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही महाकुंभ में महास्नान की शुरुआत हो गई है। हर घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़, जयघोष, और भक्ति की गूंज ने प्रयागराज को अद्भुत ऊर्जा से भर दिया है।

 

अमृत स्नान के लिए उमड़ा जन सैलाब

प्रयागराज में संगम तट पर मकर संक्रांति के पावन अवसर पर आस्था का महासंगम देखने को मिला। रात से ही श्रद्धालु स्नान के लिए घाटों की ओर उमड़ने लगे थे। बुजुर्ग, महिलाएं, युवा—सभी के चेहरों पर अपार श्रद्धा थी। संगम तट पर जय श्री राम और हर हर महादेव के नारों की गूंज से माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक हो गया। श्रद्धालुओं का यह उमड़ता हुआ सैलाब भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की जीवंत झलक पेश कर रहा था।

 

नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा

महाकुंभ की सबसे बड़ी आकर्षण रही नागा साधुओं की शाही स्नान यात्रा। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधु पारंपरिक भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ शाही स्वरूप में नजर आए। साधु-संत पैदल, घोड़ों और रथों पर सवार होकर संगम पहुंचे। इस शोभायात्रा ने श्रद्धालुओं को भक्ति और आध्यात्मिकता से सराबोर कर दिया। साधुओं की शोभायात्रा में भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने आयोजन को दिव्यता प्रदान की।

 

भक्तों की आस्था 

प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर और संगम क्षेत्र में मकर संक्रांति की रात से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया था। इस दिव्य आयोजन में आस्था से भरे श्रद्धालु गंगा की ओर बढ़ते दिखे। कड़ाके की ठंड के बावजूद संगम तट के घाटों पर डुबकी लगाने वाले लोगों की भारी भीड़ ने यह दिखाया है कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।

 

घाटों पर जयघोष की गूंज

संगम तट के 12 किलोमीटर क्षेत्र में हर हर महादेव और जय श्री राम के नारों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। साधु-संतों के स्नान के साथ ही आम श्रद्धालुओं ने भी गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। संगम पर स्नान का यह अद्भुत नजारा श्रद्धालुओं के मन को गहरी संतुष्टि और आध्यात्मिक शांति प्रदान कर रहा था।

 

मकर संक्रांति पर विशेष दान का महत्व

मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान करना बेहद शुभ माना जाता है। श्रद्धालुओं को इस दिन गरीबों को भोजन कराने के साथ कंबल, तांबा, स्वर्ण और खिचड़ी का दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन लोहा और उड़द का दान वर्जित है। इन परंपराओं के पालन से न केवल पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि समाज में सेवा और दान की भावना भी सुदृढ़ होती है।

 

महाकुंभ: आस्था का महासंगम

महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है। यह आयोजन करोड़ों लोगों को एक साथ लाता है, जहां आस्था, भक्ति और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।

इस महापर्व का हिस्सा बनें और भारतीय परंपराओं की इस अद्भुत झलक का अनुभव करें। महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को समझने और उसे आत्मसात करने का अवसर है।