18 November 2023

इस दिन होगा चातुर्मास का समापन, दिनी योगनिद्रा से जागेंगे श्रीहरि

हिन्दू धर्म की विशाल परंपरा में चातुर्मास महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह चार महीने की अवधि होती है, जो आमतौर पर जुलाई में शुरू होती है और नवंबर में समाप्त होती है। इस दौरान भक्त आध्यात्मिक प्रथाओं में संलग्न होते हैं। जैसे-जैसे चातुर्मास समाप्त होने का समय नजदीक आता है, भक्त योग निद्रा से श्री हरि के दिव्य जागरण की प्रतीक्षा करते हैं। यह शुभ घटना गहरा प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक महत्व रखती है, जो भक्ति और संबंध के धागों को एक साथ जोड़ती है।

हर बार की तरह इस बार के चातुर्मास का समापन भी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी पर हो जाएगा। इस दौरान भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से उठकर इस जगत के सारे कामकाज संभालेंगे। भगवान विष्णु के सभी मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में घंटे-घडियाल बजाकर भगवान नारायण को जगाया जाएगा। इस दौरान भगवान 148 दिनी योगनिद्रा से बाहर आएंगे।

 

चातुर्मास

देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है। यह समय आमतौर पर 4 महीने का होता है। लेकिन इस बार अधिक मास के कारण चातुर्मास 148 दिनों का हो गया है। चातुर्मास के दौरान शुभ कार्यों, जैसे विवाह, मुंडन, उद्घाटन आदि पर रोक रहती है। ये शुभ कार्य एक बार फिर से चातुर्मास की समाप्ति के साथ ही शुरू हो जाएंगे। चातुर्मास का समय परंपरागत रूप से गहन आत्मनिरीक्षण और ध्यान के लिए अनुकूल माना जाता है।

इस दौरान भक्त अक्सर प्रार्थना, ध्यान, उपवास और पवित्र ग्रंथों के अध्ययन में संलग्न होते हैं। यह समय मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए बेहद सही माना जाता है। 

 

योग निद्रा का प्रतीकवाद

दिन के समय निद्रा की अवधारणा, जिसे “योग निद्रा” भी कहा जाता है, हिंदू दर्शन में गहरा प्रतीकात्मक महत्व रखती है। ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान देवशयनी एकदशी पर भगवान विष्णु गहन चिंतन और योग निद्रा की स्थिति में प्रवेश करते हैं। यह विश्राम मानसून के महीनों के दौरान भगवान के साथ भक्तों के लिए भी सचेतनता का प्रतीक है। 

योग निद्रा सचेत विश्राम की स्थिति का प्रतिनिधित्व करती है, जहां भगवान गहन आराम की स्थिति में प्रवेश करते हैं। श्री हरि की दिव्य योग निद्रा एक ब्रह्मांडीय कायाकल्प का प्रतीक है, जो इस धरती पर सृजन, संरक्षण और विघटन की चक्रीय प्रकृति को दर्शाती है।

 

श्रीहरि के जागने की आशा

जैसे-जैसे चातुर्मास अपने समापन के नजदीक आता है, दुनियाभर में भक्त श्री हरि के दिव्य जागरण का इंतजार करते हैं। श्री हरि का जागरण जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के शाश्वत चक्र की याद दिलाता है। इस क्षण पर भक्तों को परमात्मा के साथ एक गहरा जुड़ाव महसूस होता है और भक्त लोग भगवान विष्णु की आराधना में तरह-तरह के अनुष्ठान और पूजा करते हैं। 

चातुर्मास के समाप्त होते ही वातावरण की हवा एक दिव्य ऊर्जा से भर जाती है। इस दौरान भक्त भगवान नारायण से अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखने के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। साथ ही लोग सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं।