08 April 2025

हनुमान जन्मोत्सव: भक्ति, शक्ति और सेवा का महापर्व, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर देने वाले, संकट में डूबे भक्तों के आश्रयदाता और असंभव को संभव करने वाले श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव भारतीय सनातन संस्कृति का एक अत्यंत पावन और आध्यात्मिक रूप से जाग्रत पर्व है। यह पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वह दिन जब वानर रूप में अवतरित होकर प्रभु शिव ने इस धरती पर मानवता की सेवा हेतु श्री हनुमान जी के रूप में अवतरण किया। कहते हैं कि जिस घर में हनुमान चालीसा का पाठ होता है, वहां भय, दुःख और दरिद्रता प्रवेश नहीं कर सकते। उनका नाम स्वयं में एक दिव्य मंत्र है—”संकटमोचन हनुमान“, जो जीवन के हर अंधकार को हरने की क्षमता रखते हैं। उनके जन्मदिवस पर भक्तों का समर्पण, मंदिरों की घंटियां और आकाश में गूंजती हनुमान चालीसा की ध्वनि—सब कुछ वातावरण को अलौकिक बना देता है।

 

बाल समय रवि भक्ष लियो तब…

हनुमान जी का बालचरित्र ही उनकी दिव्यता का परिचायक है। एक बार बालक रूप में उन्होंने सूर्यदेव को लाल फल समझकर निगल लिया था, जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड में अंधकार छा गया। देवताओं की विनती पर उन्होंने सूर्य को वापस छोड़ दिया। इस लीलामय घटना से यह सिद्ध होता है कि वे केवल बलवान ही नहीं, वरन् जगत के संतुलन के वाहक भी हैं। बचपन से ही उनमें दिव्य शक्तियों का वास था, किंतु अपने बल का प्रयोग उन्होंने केवल धर्म के पक्ष में ही किया। वे भगवान राम के नाम के बिना स्वयं को तुच्छ मानते थे। तुलसीदास जी ने उन्हें “बड़े भारी तपस्वी” कहा है, जिन्होंने जीवन को ब्रह्मचर्य, त्याग, और सेवा के पथ पर बिताया। उनकी यह विशेषता उन्हें अन्य सभी देवताओं से विलक्षण बनाती है। वे शक्ति के प्रतीक हैं, परंतु वह शक्ति अहंकारविहीन, समर्पणयुक्त और पूर्णतः श्रीराम के चरणों में समर्पित है।

 

हनुमान जयंती 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के आधार पर, इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे से होगी। यह तिथि अगले दिन 13 अप्रैल को सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी।

 

हनुमान जन्मोत्सव की भक्ति-परंपरा

हनुमान जन्मोत्सव के दिन का प्रारंभ प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान व ध्यान से होता है। भक्त व्रत का संकल्प लेकर हनुमान जी के मंदिर जाते हैं। मंदिरों में विशेष सजावट, घंटियों की मधुर ध्वनि और श्रद्धालुओं का जयकारा वातावरण को भक्तिमय बना देता है। सुंदरकांड, हनुमान बाहुक, बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का अखंड पाठ किया जाता है। कई स्थानों पर भव्य शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं, जिनमें श्री हनुमान जी के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां प्रस्तुत होती हैं। भक्त उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल और लड्डू अर्पण करते हैं, जो उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। यह दिन केवल पूजन का नहीं, वरन् आत्ममंथन का भी अवसर है—कि हम अपने भीतर के अहंकार, आलस्य और भय को त्यागकर प्रभु श्रीराम के कार्यों में लगें, जैसे हनुमान जी ने जीवनभर किया।

 

राम काज कीन्हें बिनु मोहि कहाँ विश्राम…

हनुमान जी का जीवन केवल लीलाओं की कथा नहीं, बल्कि वह तप है, वह समर्पण है, वह संकल्प है, जो हर युग के लिए प्रासंगिक है। वे केवल भगवान राम के सेवक नहीं, बल्कि धर्म के रक्षक हैं। जब लंका दहन करनी थी, तब वे अग्नि बन गए; जब संजीवनी लानी थी, तब पर्वत उठा लाए। ऐसा समग्र, समर्पित और संवेदनशील चरित्र अन्यत्र दुर्लभ है। आज के युग में जब सेवा, निष्ठा और त्याग दुर्लभ हो चला है, तब हनुमान जी का जीवन हमें स्मरण कराता है कि शक्ति का सही उपयोग तभी होता है जब वह धर्म और भक्ति के अधीन हो। उनके जीवन की हर झलक, हर कथा, हर स्मरण हमें यही सिखाता है—”राम का नाम ही मेरा प्राण है, वही मेरी साधना है, वही सिद्धि है।”

 

हनुमान जन्मोत्सव : एक आत्मिक पुनर्जागरण का पर्व

हनुमान जन्मोत्सव केवल एक तिथि नहीं, यह आत्मा को पुनः जागृत करने का दिन है। यह वह अवसर है जब भक्त हनुमान जी के गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। भक्ति में अडिगता, सेवा में संपूर्णता और संकट में निडरता। यह दिन हमें अपने भीतर के भय, भ्रम और आलस्य को जलाने की प्रेरणा देता है। हनुमान जी की कृपा से आज भी अनगिनत भक्तों के जीवन में चमत्कार होते हैं—कभी रोग से मुक्ति, कभी भय का नाश, तो कभी जीवन में नई दिशा का बोध। आइए, इस पावन अवसर पर हम सब संकल्प लें कि हम भी कर्तव्यों को सेवा मानकर निभाएंगे और हनुमान जी की भक्ति से आत्मा को बल देंगे।

 

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, अनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

 

जय बजरंग बली!