अक्षय तृतीया : जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और दान का महत्व
हिंदू धर्म में कुछ तिथियाँ ऐसी होती हैं, जिनका महत्व सदियों से अटूट है। इन्हीं में से एक है अक्षय तृतीया — एक ऐसा पर्व जिसे सदा फलदायी, सर्वसिद्धि प्रदायक और कभी न क्षय होने वाले पुण्य का स्रोत माना गया है। ‘अक्षय‘ अर्थात् जिसका क्षय न हो, जो सदा बना रहे। यही कारण है कि इस दिन किया गया हर कार्य — चाहे वह जप हो, तप हो, दान हो या सेवा; अनंत गुना फल देने वाला होता है।
अक्षय तृतीया का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है। इसे अक्ती तीज, आखा तीज और परशुराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यह तिथि न केवल अबूझ मुहूर्त मानी जाती है, बल्कि इसके पीछे अनेक पौराणिक घटनाएँ और दिव्य कथाएँ जुड़ी हैं।
इस दिन को भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इसी तिथि को राजा भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर गंगा माता का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन कुबेर ने भगवान शिव की उपासना कर धन के देवता बनने का वर प्राप्त किया और पांडवों को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी, जिससे वे हर दिन एक बार असीमित भोजन बना सकते थे। इतना ही नहीं, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सखा सुदामा की दरिद्रता का अंत भी अक्षय तृतीया के दिन ही किया था।
अक्षय तृतीया 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल, 2025 को शाम 05:31 बजे शुरू होगी और 30 अप्रैल, 2025 को दोपहर 02:12 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर, अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल, 2025 को मनाया जाएगा।
अबूझ मुहूर्त
इस तिथि की एक विशेषता यह भी है कि कोई भी शुभ कार्य — जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, भूमि पूजन, आभूषण क्रय आदि; बिना किसी मुहूर्त के किया जा सकता है। इसे अबूझ सावा कहा जाता है, अर्थात् जिसके लिए विशेष समय निकालने की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन सोने-चांदी की खरीदी भी अत्यंत शुभ मानी जाती है क्योंकि यह समृद्धि और लक्ष्मी की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर दान और पुण्य का महत्व
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है—
“अक्षय तृतीयायां दानं, पुण्यं च न क्षीयते।”
अर्थात् अक्षय तृतीया पर किया गया दान और पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
इस दिन जल दान, अन्न दान, वस्त्र दान, गौ दान, स्वर्ण दान, भूमि दान और विशेष रूप से अन्न का दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गरीबों, असहायों, दिव्यांगों को भोजन कराना अति पुण्यकारी माना गया है। यह न केवल दाता के पापों का नाश करता है, बल्कि कर्मों की श्रृंखला में पुण्य का बीज बोता है जो जन्म-जन्मांतर तक अक्षय रहता है।
क्यों करें अन्न का दान?
अन्न को हिंदू धर्म में परब्रह्म कहा गया है; क्योंकि इसी से जीवन चलता है। अन्नदानम् परं दानम् — अर्थात् अन्नदान सभी दानों में श्रेष्ठ माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन किसी भूखे को भोजन कराना, न केवल शरीर को तृप्त करता है बल्कि आत्मा को भी संतोष और शांति प्रदान करता है।
इस दिन जरूरतमंदों, अनाथ बच्चों, दिव्यांगों और दीन-हीन असहाय लोगों को भोजन कराना ऐसा पुण्य है, जो सीधा भगवान तक पहुँचता है। इस दिन नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान के सेवा प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
अक्षय तृतीया आत्मा को जाग्रत करने का अवसर है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में असली समृद्धि सिर्फ धन में नहीं, पुण्य में है। जरूरतमंदों की मदद करना, दीन-हीन, असहाय, भूखे लोगों को भोजन कराना और प्रभु की सेवा में स्वयं को लगाना; यही अक्षय तृतीया की सच्ची साधना है।
अक्षय तृतीया के पुण्यदायी अवसर पर किसी भूखे को भोजन कराएं, किसी दुखी के आंसू पोंछें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि इस जगत के सभी प्राणियों के जीवन में पुण्य का अक्षय दीप जलता रहे।