सृष्टि के संहार और सृजन के अधिपति, करुणा और तप के साकार स्वरूप भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि बस आने ही वाला है। यह केवल एक व्रत या अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और शिवत्व को पाने का शुभ अवसर है।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु की आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली विजया एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही जीवन में विजय और सफलता प्रदान करने वाली मानी गई है।
माघ पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति में धर्म, आस्था और दान का विशेष पर्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में पवित्रता और आध्यात्मिक उन्नति का संचार होता है।
जया एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी तिथि है। यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस पावन दिन का उल्लेख अनेक पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जहां इसे पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी बताया गया है।
बसंत पंचमी, सनातन परंपरा में माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है। इस दिन लोग बसंत ऋतु के स्वागत के साथ ही विद्या, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं।
भारत हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन हमारे इतिहास का वह स्वर्णिम पन्ना है, जब देश ने अपनी पहचान को संविधान के माध्यम से संजोया और एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में उभरा।
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। यह माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या है जो आत्मसंयम, मौन साधना और पवित्र स्नान के लिए समर्पित है। इस बार मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान इसी दिन तीसरा शाही स्नान हो रहा है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। हर महीने में दो बार आने वाली यह तिथि भक्तों को ईश्वर की कृपा प्राप्त करने और जीवन को पवित्र बनाने का अवसर प्रदान करती है। इनमें से एक विशेष तिथि है षटतिला एकादशी।
प्रयागराज की पावन धरती पर महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। जीवनदायिनी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर देश-विदेश से श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े हैं। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही महाकुंभ में महास्नान की शुरुआत हो गई है।
कुंभ मेला भारत का एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है। महाकुंभ, पूर्णकुंभ और अर्धकुंभ इसके विभिन्न रूप हैं, जो आध्यात्मिक मुक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक हैं।
हर साल 12 जनवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन असंख्य युवाओं के प्रेरणास्रोत, प्रकाण्ड विद्वान स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो अपने विचारों, आदर्शों और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं।
पौष पूर्णिमा 2025 और मकर संक्रांति कुंभ मेले में एक साथ मनाई जा रही हैं। ये दोनों ही पवित्र त्योहार आध्यात्मिक शुद्धि, भक्ति और सेवा के लिए समर्पित हैं। कुंभ मेले में लाखों लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।