दुर्घटनाएँ अप्रत्याशित होती हैं और वे कई तरीकों से जीवन में भारी बदलाव ला सकती हैं। जब कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना में अपना एक अंग खो देता है, तो उसका पूरा जीवन उलट-पुलट हो जाता है। इस स्थिति में, लोगों को ऐसा लगता है जैसे वे एक ठहराव पर आ गए हैं और आशा खो देते हैं। नारायण कृत्रिम अंगों की मदद से उनकी स्थिति में काफी सुधार किया जा सकता है। लेकिन हर कोई इन्हें वहन नहीं कर सकता।
नारायण सेवा संस्थान उन लोगों को नारायण कृत्रिम अंग निःशुल्क वितरित करता है जिन्हें इस तरह के समर्थन की सख्त जरूरत है। सभी अंगों को लाभार्थियों के माप के अनुसार अनुकूलित किया गया है। ये कृत्रिम अंग संस्थान की अत्यधिक उन्नत कार्यशालाओं में प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स इंजीनियरों की एक कुशल टीम द्वारा निर्मित किए जाते हैं। कृत्रिम अंग के आसान उपयोग के लिए संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा लाभार्थियों को उनके नए अंगों और उनकी कार्यक्षमता से परिचित होने में भी मदद की जाती है।
नारायण सेवा संस्थान ने आपकी मदद से जो उपलब्धियाँ हासिल कीं वे नीचे दी गई हैं
व्हीलचेयर वितरित
श्रवण यंत्र वितरित
सुधारात्मक सर्जरी की गई
कैलिपर्स वितरित
ट्राइसाइकिलें वितरित
बैसाखियाँ वितरित
अक्षय तिलमोरे महाराष्ट्र के अकोला जिले के रहने वाले हैं। एक दुर्भाग्यपूर्ण ट्रेन हादसे ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया, जिसमें उन्होंने अपना एक पैर खो दिया।
यह करुण कहानी कर्नाटक के ट्रक चालक पुनीत कुमार की है। उन्होंने बताया कि इलाज में काफी वक्त और पैसा लग गया। रोजगार भी छिन गया।
जयनगर (कोलकाता) निवासी सौरभ हलधर (25) एक ट्रेन दुर्घटना में वर्ष 2023 में गंभीर रूप से जख्मी हो गए। संक्रमण के चलते उपचार के दौरान दांया पैर कटवाना पड़ा।
लखदेव सिंह जडेजा (35) राजकोट (गुजरात) के रहने वाले हैं। काफी सुलझे व्यक्ति हंै। पेशे से कार चालक हैं।
बायां पांव जन्मजात दायां पांव से करीब 10 इंच छोटा था। जिससे उसे उठने, बैठने व चलने में न केवल परेशानी होती थी, बल्कि दूसरे पांव के भी घुटने से नाकाम होने की आशंका थी।
जन्म के इक्कीस वर्ष बाद घिसटती जिंदगी से मुक्ति प्राप्त कर संजू पहली बार अपने बल पर दोनों पैरों पर खड़ी होकर चलने ही नहीं लगी बल्कि आत्मनिर्भर भी बानी।
एक भयानक सड़क हादसे ने जिन्दगी को एक पांव के सहारे लाकर खड़ा कर दिया। छोटी सी उम्र में ही ऐसी विकट स्थिति का सामना होने से माता -पिता को बेटी का भविष्य बिखरता सा लगने लगा।
(झारखंड) सोनाक्षी 14 सिंह पलामू जिले के रेहला की रहने वाली हैं। 2021 में एक ट्रेन दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी हो गई। उपचार के दौरान दांया पैर कटवाना पड़ा। जिसके बाद उसे चलने-फिरने में काफी तकलीफ सहनी पड़ती थी। परिजनों ने 80 हजार रुपये खर्च कर कृत्रिम पैर लगवाया। लेकिन वह वजन में […]
(म.प्र ) ग्वालियर की भितरवार तहसील निवासी दीवान सिंह मांझी और हेमलता देवी पहली संताने के रूप में बेटे के होने से बेहद खुश थे।
कुदरत का खेल भी निराला है, जब दुःख देता है तो इतना की व्यक्ति पूरी तरह टूट जाता हैं, और सुख की बात करे तो खुशियों की बौछार भी बेशुमार करता हैं।
दिन ट्रैन में चढ़ने के दौरान मची अफरा-तफरी में वह नीचे गिर पड़ा। ट्रैन के नीचे आने से दोनों पैर बुरी तरह से जख्मी
कभी-कभी कुदरत कुछ ऐसा कर जाती है कि इंसान टूट जाता है। ऐसे में जो लोग निराश होने के बाद भी उत्साह के साथ काम करते हैं,
एक छोटी सी फुंसी व जहरीले मच्छर के काटने से जिन्दगी इस कदर लाचार हो गई की एक जगह से दूसरी जगह जाने हेतू सोचकर ही
छोटी सी जोत पर किसानी का काम कर परिवार के पांच सदस्यों के साथ खुसहाल जीवन बीता रहे थे कि एक दिन काल बन ऐसा आया जिसने परिवार के सारे सपनों को तहस-नहस कर दिया।
(उ.प्र) कुशीनगर जिले की कप्तानगंज तहसील के छोटे से गाॅव पचार में आॅटो चलाकर 6 सदस्यीय परिवार का गुजारा चलाने वाले गरीब मनोज सहानी का छोटा बेटा बादल 14 वर्षीय 9 नवम्बर 2020 को अपने घर के दरवाजे पर खड़ा था
महाराष्ट्र रत्नागीरी के मूल निवासी सन्दीप काबले सामान्य परिवार से है, एक प्राइवेट केमिकल कम्पनी में काम कर 10,000रु मासिक कमाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुए
परिवार ने पहली संतान के रूप में बेटी के जन्म से खूब खुशियां मनाई। सुरेश . केसर देवी ने बेटी का नाम तुलसी रखा और परवरिश में लग गए। ट्रेक्टर चालक पिता और गृहणी माता बेटी के
उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी दिनेश कुमार के घर दस साल पहले बेटे के जन्म के बाद से परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल था। बेटे के आगमन पर खुशनुमा माहौल था..
ट्रेन दुर्घटना में दोनों पांव खो देने के बाद, हर्षल कदम (पुणे) की जिन्दगी वीरान सी हो गई। संजोये सपने टूट गए। घटना 30 अक्टूबर 2021 की है। ट्रेन में चढ़ ही रहे थे कि पास की पटरी से तेज रफ्तार में गुजरी ट्रेन ने चपेट में ले लिया।
सोनभद्र (उप्र) निवासी सुजीत कुमार (29) ट्रक ड्राइविंग कर अपने माता-पिता और पत्नी के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे। कि 4 मार्च, 2020 का दिन उनके जीवन के रंग बेरंग कर गया।
नैनपुर ( मप्र ) के आकाश कुमरे (20) चार भाइयों में सबसे बड़े हंै। घर-परिवार में सब ठीक ही चल रहा था कि मई 2022 की एक शाम जिंदगी में अंधेरा कर दिया। वे औरांे के सहारे का मोहताज बन गए।
(उ.प्र.) उतरासोद गांव निवासी गब्बर और आशा देवी सवीता के जन्म से बहुत खुश थे। परन्तु 6 वर्ष की उम्र में यकायक कमर में एक छोटी गांठ उभरती देख चिंतित हो उठे। धीरे-धीरे गांठ बढ़ती जा रही थी।
तीन साल पहले कार हादसे में पांवों की नसें ब्लाक होने से रक्त का संचार बंद हो गया। उपचार के दो माह बाद अचानक गैग्रीन रोग के जकड़ने पर दोनों पांवों को कटवाना पड़ा।
पलक जब बच्ची थी तब एक सड़क दुर्घटना में उसके पिता को खो दिया था। दुर्घटना के प्रभाव में, पलक का पैर और उसकी माँ का हाथ गंभीर रूप से घायल हो गया और उन्हें काटना पड़ा।
मैं रमेश नासिक महाराष्ट्र में अपनी राशन की दुकान चलाता था। मैं अपने बच्चों और पत्नी सहित 6 सदस्यों के परिवार में रह रहा था। मैं रोजाना सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक अपनी दुकान खोलता हूं।
खेती करके जीवन यापन करने वाले यवतमाल महाराष्ट्र निवासी विनोद चौहान (48) के घर 14 वर्ष पहले एक प्री- मैच्योर बच्चा राजेश विनोद चौहान (14) का जन्म हुआ | जन्म के समय से ही दोनों पांवो के पंजों में टेढ़ापन था |
अब तक नारायण सेवा संस्थान ने 38,7311 वंचित दिव्यांगों को नारायण कृत्रिम अंग बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध कराए हैं।
आपका छोटा सा योगदान किसी का जीवन बेहतर बना सकता है।