15 October 2024

Dhanteras 2024: धनतेरस पर इन चीजों की खरीदारी से घर में आएगी सुख-समृद्धि और अरोग्यता

धनतेरस हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे धन त्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के पांच दिनों के महापर्व का प्रथम दिन होता है। धनतेरस का अर्थ ही है ‘धन’ और ‘तेरस’, जिसमें ‘धन’ का अभिप्राय समृद्धि से और ‘तेरस’ का तात्पर्य त्रयोदशी तिथि से है। इस दिन का विशेष महत्व स्वास्थ्य, समृद्धि और आरोग्य से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था, जो आयुर्वेद के प्रणेता माने जाते हैं। यही कारण है कि इस दिन को स्वास्थ्य और आरोग्य का पर्व भी माना जाता है।

 

धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त

धनतेरस की पूजा गोधूलि काल में की जाती है। इस साल गोधूलि काल 29 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।

 

भगवान धन्वंतरि कौन हैं?

भगवान धन्वंतरि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें देवताओं के दिव्य चिकित्सक के रूप में जाना जाता है। उन्हें आयुर्वेद का प्रवर्तक माना जाता है। आयुर्वेद, चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है जो समग्र स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित है। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि को अक्सर एक हाथ में अमृत का कलश और दूसरे हाथ में औषधीय जड़ी-बूटियाँ पकड़े हुए दिखाया जाता है। उनकी उपस्थिति हमारे जीवन में स्वास्थ्य और उपचार के ज्ञान के महत्व को दर्शाती है।

 

पौराणिक मान्यताएँ

धनतेरस के दिन यमराज की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, राजा हिमा के पुत्र को मृत्यु के देवता यमराज से बचाने के लिए उसकी पत्नी ने अपनी सूझ-बूझ का उपयोग किया था। उसने दरवाजे पर धातु के बर्तन और गहने रख दिए थे, जिससे यमराज की दृष्टि उसके पति पर नहीं पड़ सकी और उसका जीवन बच गया। इस कथा के आधार पर, धनतेरस के दिन नया धातु खरीदना शुभ माना जाता है।

 

धनतेरस की परंपराएँ

यह दिन समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है, इसलिए लोग इस दिन विशेष रूप से सोना, चांदी, बर्तन और अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदते हैं। यह परंपरा सिर्फ धन के प्रति प्रेम को नहीं दर्शाती, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करने का प्रतीक मानी जाती है।

 

धनतेरस पर करें इन चीजों की खरीदारी

सोना और आभूषण: सोने को अक्सर धन का प्रतीक माना जाता है, और कहा जाता है कि धनतेरस पर सोना या आभूषण खरीदने से घर में समृद्धि आती है। कई परिवार इस दौरान सोने के सिक्के, गहने या बर्तन खरीदते हैं।

चांदी की वस्तुएं: धनतेरस पर चांदी का भी विशेष स्थान होता है। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है। इस दिन चांदी के सिक्के, बर्तन या मूर्तियां खरीदने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और सौभाग्य आता है।

बर्तन: नए रसोई के बर्तन खरीदना एक और आम परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नए बर्तनों का उपयोग करने से धन की देवी माँ लक्ष्मी परिवार को समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां: घर में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखना शुभ माना जाता है। ज्ञान और धन का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां अवश्य खरीदनी चाहिए।

धातु, आभूषण और बर्तनों के अलावा इस दिन झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

 

इन चीजों की न करें खरीदारी

खरीदारी के इस दिन में कुछ चीजों को खरीदने की मनाही भी है। कहा जाता है कि इस दिन कांच के बर्तन, तेल और घी नहीं खरीदना चाहिए। कांच के बर्तनों को राहु से संबंधित माना जाता है। जिसका नकारात्मक प्रभाव घर के लोगों पर हो सकता है।