भारतवर्ष में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन दीपावली का अपना एक विशेष स्थान है। यह न केवल हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है, बल्कि भारतीय संस्कृति और समाज में इसकी जड़ें गहरी हैं। दीपावली को ‘प्रकाश का पर्व’ कहा जाता है क्योंकि इस दिन पूरे देश में दीपों की जगमगाहट होती है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दीपावली मुख्य रूप से पांच दिनों का पर्व है, जिसे धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
दिवाली 2024 कब है? (When is Diwali 2024)
दिवाली हमेशा कार्तिक अमावस्या की रात्रि के समय मनाई जाती है। दीपोत्सव हमेशा रात में ही किया जाता है। इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है, दीपावली के त्यौहार में रात्रि के समय अमावस्या होना जरूरी है। 1 नवम्बर की रात्रि को अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। साथ ही इसमें उदया तिथि की मान्यता नहीं होती; इसलिए इस साल दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
दीपावली का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
दीपावली का धार्मिक महत्व रामायण से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण चौदह वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया था और तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। इसके साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को उसके कैद से मुक्त कराया था, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन भी कहा जाता है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (laxmi puja 2024 shubh muhurat)
दीपावली के अवसर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लोग इस दिन माँ लक्ष्मी से अपने घर में धन, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे से रात्रि 10 बजकर 30 मिनट तक है। कहा जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या पर समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी घर-घर जाकर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और धन-दौलत का आशीर्वाद देती हैं।
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को लगाएं ये भोग
माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग में खीर, बूंदी के लड्डू, सिंघाड़ा, अनार, नारियल, पान का पत्ता, हलवा, मखाने, सफेद रंग की मिठाई, खील, चूरा, इलायची दाने का भोग लगाएं।
दीपावली का सामाजिक महत्व
दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज को एकजुट करने वाला पर्व भी है। इस पर्व के पहले लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार करते हैं। यह पर्व परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाने का भी अवसर है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं, जिससे रिश्तों में मिठास और निकटता बढ़ती है। इसके साथ ही लोग इस दिन लोग जरूरतमंदों का भी ध्यान रखते हैं, इस दिन लोग उन जरूरतमंदों की सहायता करते हैं जो अपनी आर्थिक परेशानियों के कारण इस उत्सव में पूरे मन के साथ भाग नहीं ले पाते। इस दिन लोग जरूरतंमंदों को दीये, कपड़े, पटाखे, पूजा का समान और मिठाई आदि उपहार में देते हैं, ताकि हर घर खुशियों की दीपवाली मनाई जा सके।
सामाजिक दृष्टि से दीपावली एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। दीपों के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि जीवन में चाहे कितना भी अंधकार हो, एक छोटा सा दीप भी उसे दूर कर सकता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में हर प्रकार के नकारात्मकता और बुराई को हटाकर अच्छाई की ओर बढ़ना चाहिए।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-
प्रश्न: दीपावली 2024 कब है?
उत्तर: दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
प्रश्न: दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: दीपावली पर 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे से रात्रि 10 बजकर 30 मिनट तक लक्ष्मी पूजा करना बेहद शुभ है।
प्रश्न: छोटी दिवाली को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: छोटी दिवाली को नरक चौदस या रूप चौदस के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: दीपावली के दीयों में कौन सा तेल उपयोग में लाया जाता है?
उत्तर: दीपावली के दीयों में सरसों या तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न : दिवाली पर देवी लक्ष्मी के साथ कौन से भगवान की पूजा की जाती है?
उत्तर: दिवाली पर देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है।