सनातन परंपरा में अमावस्या बेहद पुण्यदायी मानी जाती है। उनमें से सर्व पितृ अमावस्या का अपना विशेष महत्व है। यह दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों के तर्पण का दिन होता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने उपरांत अपने पितरों का तर्पण करके ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, निर्धन, जरुरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु से अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया तर्पण एवं दान परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करता है। इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करना चाहिए। इस दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध का विधान है। इसलिए जो भी लोग श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में अपने पितरों का श्राद्ध न कर पाए हो, या जिन्हें अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात न हो; वो सभी सर्व पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।
ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को कराएं भोजन
सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार के लोगों को सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
सनातन परंपरा में दान का विशेष महत्व है इसलिए दान का उल्लेख करते हुए धर्म ग्रंथों में कहा गया है-
दानेन भूतानि वशी भवन्ति दानेन वैराण्यपि यान्ति नाशम्।
परोऽपि बन्धुत्वभुपैति दानैर् दानं हि सर्वेव्यसनानि हन्ति॥
दान से सभी प्राणी वश में होते हैं, दान से बैर का नाश होता है, दान से शत्रु भी भाई बन जाता है और दान से ही सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर दान देकर नारायण सेवा संस्थान के ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके अपने पितरों को करें तृप्त।
आपके द्वारा दिए गए दान से ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराया जाएगा