अक्षय तृतीया | दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को कराएं मीठा भोजन

|| अक्षय तृतीया ||

दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को कराएं मीठा भोजन


अक्षय तृतीया

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अक्षय तृतीया सनातन परंपरा में एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे नई शुरुआत और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह दिन दान देने और पुण्य फल प्राप्त करने के लिए बेहद उत्तम दिन माना जाता है।

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में समृद्धि और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है। इस दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और माँ गंगा इस धरती पर अवतरित हुई थीं। कहा जाता है कि इस दिन दीन-हीन, असहाय लोगों की सहायता करने पर  देवी लक्ष्मी अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाती हैं।

दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें

अक्षय तृतीया के पुण्यकारी समय पर ब्राह्मणों तथा पात्र लोगों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है-

“दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते”

अर्थात् दान धर्म से बड़ा न तो कोई पुण्य है न ही कोई धर्म।

माँ लक्ष्मी के प्रिय दिन अक्षय तृतीया पर दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यदि आपका धन किसी के काम आता है तो वह बदले में आपको सुख देता है। दान करके जब आप दूसरों को खुशी देते हैं, तो बदले में आपको खुशी मिलती है। क्योंकि किसी जरुरतमंद को दान देकर आपने उसकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है।

दान के महत्व का उल्लेख करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा है-

तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर।
दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।

अर्थात् पक्षियों के पानी पीने से नदी का जल कम नहीं होता, इसी प्रकार दान देने से कभी भी आपके घर में धन के कमी नहीं होती।

अक्षय तृतीया के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को मीठा भोजन कराने जा रहा है। संस्थान के इस कार्य में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

अक्षय तृतीया

आपके द्वारा दिए गए दान से अक्षय तृतीया पर दिव्यांग लोगों को मिलेगा मीठा भोजन।

बच्चों को मीठा भोजन कराने के लिए दान करें।

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