पौष अमावस्या, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन स्नान-ध्यान, पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य कार्यों के लिए समर्पित है। पौष का महीना अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन किया गया अनुष्ठान पितरों को शांति और परिवार को सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
पौष अमावस्या का महत्व
पौष अमावस्या को आत्मशुद्धि और नए आरंभ का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना करने तथा दीन-दु:खी, असहाय लोगों को दान देने से विशेष पुण्य के प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा और सेवा; पितरों को तृप्ति प्रदान करती है और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों को कराएं भोजन
पौष अमावस्या के दिन ब्राह्मणों, दिव्यांगों और दीन-दुखियों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह कार्य पितरों की आत्मा को संतोष प्रदान करता है और उनके आशीर्वाद से परिवार के सदस्यों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
सनातन परंपरा में दान का विशेष महत्व है श्रीमद् भगवद्गीता में के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा है-
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।
अर्थात् जो दान कर्तव्य समझकर, किसी फल की आशा के बिना, उचित काल तथा स्थान में और आध्यात्मिक कार्यों में लगे पात्र व्यक्ति को दिया जाता है वही दान सात्विक माना जाता है।
पौष अमावस्या के पावन अवसर पर जरूरतमंदों को भोजन कराने के सेवा प्रकल्प में योगदान देकर पुण्य के भागी बनें और अपने जीवन को धन्य करें।
आपके द्वारा दिए गए दान से ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराया जाएगा