मौनी अमावस्या, हिंदू धर्म में एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को आत्मचिंतन, पितरों का तर्पण और सेवा-दान के लिए समर्पित माना जाता है। मौनी अमावस्या का अर्थ है ‘मौन रहकर आत्मा की शुद्धि करना।‘ इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और जरूरतमंदों की सेवा से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस बार की मौनी अमावस्या खास है क्यों कि मौनी अमावस्या के दिन ही प्रयागराज में महाकुम्भ का तीसरा अमृत स्नान हो रहा है।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या का दिन आत्मसंयम और धर्म के पालन का प्रतीक है। इस दिन मौन धारण करने से मन शांत होता है और आत्मा की शुद्धि होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस गंगा स्नान और दीन-दु:खी, असहाय, जरूरतमंद लोगों दान करने से पितरों को शांति मिलती है, और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
सनातन परंपरा में दान का बड़ा महत्व है, जिसका उल्लेख कई धर्मग्रंथों में किया गया है। श्रीमद् भगवद्गीता में कहा गया है-
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।
जो दान कर्तव्य समझकर, किसी फल की आशा के बिना, उचित काल तथा स्थान में और आध्यात्मिक कार्यों में लगे पात्र व्यक्ति को दिया जाता है वही दान सात्विक माना जाता है।
जरूरतमंद और दिव्यांग बच्चों को कराएं भोजन
मौनी अमावस्या पर दान देकर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना न केवल पितरों की तृप्ति का साधन है, बल्कि यह भगवान का आशीर्वाद पाने का मार्ग भी है। यह कार्य आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
दिव्य महाकुम्भ के इस पुण्यदायी काल में मौनी अमावस्या के दिन दान देकर दीन-दु:खी, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराएं और पुण्य के भागी बने।
आपके द्वारा दिए गए दान से ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराया जाएगा