हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह एकादशी अपने नाम के अनुरूप मनुष्य को पापों से मुक्त करने और पुण्य का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेष्ठतम अवसर प्रदान करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत, उपवास, पूजन और दान करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से छुटकारा मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
पापमोचिनी एकादशी का महत्व
जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ पापमोचिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार:
इस दिन व्रत और उपवास करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
सेवा और दान का विशेष महत्व होता है, जो समस्त पापों से मुक्ति प्रदान करता है।
पूर्व जन्मों के पाप भी इस एकादशी के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं।
पापमोचिनी एकादशी और दान का महत्व
दान और सेवा का विशेष महत्व एकादशी व्रत में बताया गया है। पापमोचिनी एकादशी पर जरूरतमंदों को भोजन कराने और दिव्यांगों की सहायता करने से जीवन में पुण्य प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुखों का अंत होता है।
दान का उल्लेख करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है-
प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुँ एक प्रधान।
जेन केन बिधि दीन्हें दान करइ कल्यान॥
धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं, जिनमें से कलि में एक (दान रूपी) चरण ही प्रधान है। जिस किसी प्रकार से भी दिए जाने पर दान कल्याण ही करता है।
एकादशी पर जरूरतमंद और असहाय लोगों की मदद करना अत्यंत पुण्यदायी है। इस दिन गरीबों और दिव्यांगों को भोजन कराने से न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि यह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का भी माध्यम बनता है।
इस पावन दिन पर जरूरतमंद बच्चों को भोजन दान करके भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।