हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह एकादशी अपने नाम के अनुरूप जीवन में सफलता, शत्रुओं पर विजय, पापों से मुक्ति और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर प्रदान करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत, पूजा और दीन-दु:खी, असहाय, जरूरतमंद लोगों को दान करने से व्यक्ति को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और हर कार्य में विजय प्राप्त होती है।
विजया एकादशी का महत्व
जो भी भक्त सच्चे हृदय से विजया एकादशी का व्रत करता है, उसे अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा से उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से न केवल इस जन्म, बल्कि पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार:
इस दिन व्रत और उपवास करने से सभी पापों का नाश होता है।
भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
पुण्य कार्यों, सेवा और दान का विशेष महत्व होता है।
विजया एकादशी और दान का महत्व
दान और सेवा का एकादशी पर विशेष महत्व होता है, विजया एकादशी पर इसका फल कई गुना अधिक माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन दान करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खुलते हैं।
दान के महत्व का उल्लेख सनातन परंपरा के अनेकों ग्रंथों में किया गया है।
मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
एकादशी पर जरूरतमंद और असहाय लोगों की मदद करना अत्यंत पुण्यदायी है। इस दिन गरीबों और दिव्यांगों को भोजन कराने से न केवल उनका आशीर्वाद मिलता है, बल्कि यह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का भी माध्यम बनता है
इस पावन दिन पर जरूरतमंद बच्चों को भोजन दान करके भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।