खरमास में दीन दु:खी, जरुरतमन्द बच्चों को भोजन कराने में सहयोग करें
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खरमास में दान देकर दीन-दु:खी और असहाय बच्चों को कराएं भोजन (वर्ष में एक बार)

खरमास:

सनातन परंपरा में खरमास, जिसे खरमास के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना गया है। इस वर्ष खरमास 15 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस अवधि में धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है, जबकि मांगलिक कार्यों को टालने का विधान है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है, और इस दौरान उनकी उपासना तथा दान-पुण्य का बड़ा महत्व है।

खरमास को पवित्रता और सेवा का महीना कहा गया है। इस दौरान किए गए पुण्य कर्म और दान न केवल हमारे जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं, बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इस अवधि में दीन-दुःखी लोगों की मदद करना सबसे बड़ा धर्म होता है। खरमास की अवधि में पवित्र अंतःकरण से किया गया दान भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

खरमास का धार्मिक महत्व

खरमास साल में दो बार आता है, जब सूर्य देव मीन या धनु राशि में गोचर करते हैं। इस बार 15 दिसंबर से सूर्य देव धनु राशि में गोचर करेंगे और खरमास का शुभारंभ होगा। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवधि में भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति होती है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना और दान करने से विशेष लाभ मिलता है।

खरमास के दौरान दान का महत्व

धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि खरमास में शुद्ध मन से किया गया दान अक्षय फल देता है। खासकर इस अवधि में ब्राह्मणों, दिव्यांग, दीन-हीन और जरूरतमंद बच्चों को भोजन कराना और उनकी मदद करना अद्वितीय पुण्य का कारक होता है। जो लोग इस पवित्र महीने में दान करते हैं, उनके जीवन में न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है, बल्कि उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है, “जो व्यक्ति खरमास में दीन-दु:खियों की मदद करता है, उसके जीवन से अंधकार का अंत होता है और भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा उसे हर संकट से बचाती है।”

इस खरमास में आपके द्वारा किया गया भोजन दान आपके लिए अनंत आशीर्वाद और भगवान की कृपा लाएगा।