पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर जरूरतमंदों के लिए दान करें
Narayan Seva Sansthan - कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा पर दान करके दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को कराएं आजीवन भोजन (वर्ष में एक बार)

कार्तिक पूर्णिमा

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हिंदू धर्म के शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा को पवित्रतम तिथियों में से एक माना गया है। इस दिन का महत्व विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु मत्स्य के रूप में अवतरित हुए थे, यह कहानी सृष्टि के विनाश और पुनर्सृजन की कथा से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कर्मों का फल अन्य दिनों की तुलना में अधिक होता है।

 

दीन-दु:खी, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें

कार्तिक पूर्णिमा का दिन धर्म, दान और सेवा का प्रतीक है। इस पवित्र अवसर पर किए गए दान से न केवल आत्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने का माध्यम भी बनता है।

 

पूर्णिमा के दिन सनातन परंपरा में ब्राह्मणों तथा पात्र लोगों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। श्रीमद् भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है-

यज्ञदानतप: कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्।”

अर्थात् यज्ञ, दान और तप ये कर्म त्यागने योग्य नहीं हैं, इन्हें अवश्य करना चाहिए।

 

दान के महत्व का उल्लेख करते हुए पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है-

अल्पमपि क्षितौ क्षिप्तं वटबीजं प्रवर्धते।

जलयोगात् यथा दानात् पुण्यवृक्षोऽपि वर्धते॥

जमीन पर डाला हुआ छोटा सा वटवृक्ष का बीज, जैसे जल के योग से बढ़ता है, वैसे पुण्य रूपी वृक्ष भी दान से बढ़ता है।

 

हजारों दिव्यांग बच्चे हर दिन दो समय के भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा के पुण्यकारी अवसर पर दान देकर वर्ष में एक बार दिव्यांग बच्चों को आजीवन भोजन कराने से सेवा प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर सहयोग करें

आपके दान से 50 जरूरतमंद, निर्धन और दिव्यांग लोगों को वर्ष में एक दिन आजीवन भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।

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