सृष्टि के संहार और सृजन के अधिपति, करुणा और तप के साकार स्वरूप भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि बस आने ही वाला है। यह केवल एक व्रत या अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और शिवत्व को पाने का शुभ अवसर है। शिव भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, रातभर जागरण करते हैं और शिवलिंग का रुद्राभिषेक कर महादेव की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। यह वह पावन रात्रि है जब संपूर्ण ब्रह्मांड शिवमय हो जाता है और भक्तगण “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ प्रभु शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि 2025 कब है?
इस साल की महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से लेकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक है। उदयातिथि और पूजा मुहूर्त दोनों को देखा जाए तो महाशिवरात्रि 26 फरवरी दिन बुधवार को है।
महाशिवरात्रि का महत्व और पौराणिक कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाशिवरात्रि वह शुभ रात्रि है जब भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। यह सृष्टि की दो महान शक्तियों “शिव और शक्ति” के मिलन का पर्व है, जो जीवन के संतुलन और ऊर्जा का प्रतीक है।
एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने कालकूट विष का पान कर उसे अपने कंठ में धारण किया था, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन में जब विष निकला, तब संपूर्ण सृष्टि संकट में पड़ गई थी। तब भोलेनाथ ने करुणावश उसे ग्रहण कर लिया और सृष्टि को बचा लिया। इसीलिए, इस दिन जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है, जिससे भक्त भगवान शिव की कृपा और कल्याणकारी ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत और पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। चार प्रहर की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिसमें शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। प्रत्येक प्रहर में एक विशेष अभिषेक विधि होती है—
- पहला प्रहर: जल और दूध से अभिषेक
- दूसरा प्रहर: दही और शहद से अभिषेक
- तीसरा प्रहर: घृत और गन्ने के रस से अभिषेक
- चौथा प्रहर: गंगाजल और बेलपत्र अर्पण
इस दिन “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह मंत्र शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी साधन है।
शिवरात्रि और ध्यान का महत्व
महाशिवरात्रि आत्मचिंतन और ध्यान का उत्तम अवसर है। भगवान शिव को योगेश्वर कहा जाता है; वे ध्यान, समाधि और आत्मज्ञान के प्रतीक हैं। इस दिन ध्यान करने से मन को स्थिरता मिलती है और शिवत्व को अनुभव किया जा सकता है। ऋषि-मुनियों का मानना है कि महाशिवरात्रि की रात्रि में आध्यात्मिक ऊर्जा अत्यधिक प्रबल होती है, जिससे ध्यान करने से आंतरिक जागृति और शुद्धि होती है।
महाशिवरात्रि पर प्रयागराज महाकुंभ का दिव्य समापन
इस वर्ष की महाशिवरात्रि और भी विशेष बन गई है क्योंकि इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का दिव्य समापन हो रहा है। प्रयागराज, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल है, वहां महाकुंभ के अंतिम स्नान का आयोजन होगा। लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाएंगे और शिव आराधना में लीन होंगे।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, ध्यान और साधना का महापर्व है। जब शिवरात्रि के दिन इसका समापन होगा, तो यह संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का विशाल केंद्र बनेगा। प्रयागराज का संगम तट “हर हर महादेव” के दिव्य निनाद से गूंज उठेगा और भक्तों के लिए यह एक दुर्लभ संयोग होगा, जब वे एक साथ पुण्य स्नान और भगवान शिव की पूजा कर सकेंगे।
शिवमय बनें, जीवन को दिव्यता से भरें
महाशिवरात्रि का यह पर्व हमें भगवान शिव की असीम कृपा का अनुभव करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की उपासना करें, उनकी बारात में शामिल हों तथा उनके मार्गदर्शन को अपने जीवन में उतारें और शिवत्व को अपनाकर सुख, शांति और मोक्ष की ओर अग्रसर हो जाएं।
ॐ नमः शिवाय! हर हर महादेव!