भारतीय संस्कृति में एकादशी का विशेष महत्व है। हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के पूजन और व्रत का दिन माना जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण तिथि है मोक्षदा एकादशी, जो मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन में आती है। इस दिन का उद्देश्य न केवल आत्मिक शुद्धि है, बल्कि मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करना भी है।
मोक्षदा एकादशी 2024 कब है? (When is Mokshada Ekadashi 2024?)
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष पर इसकी शुरुआत 11 दिसंबर 2024 को प्रातः 3 बजकर 43 मिनट पर होगी। जिसका समापन 12 दिसंबर 2024 को रात्रि 1 बजकर 9 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है।
इवेंट | तारीख और समय |
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एकादशी प्रारंभ | 11 दिसंबर 2024 प्रातः 3:43 बजे |
एकादशी समाप्त | 12 दिसंबर, 2024 1:09 पूर्वाह्न |
पारण का समय | 12 दिसंबर 2024 सुबह 7:03 बजे – सुबह 9:10 बजे |
ध्यान दें: पारण व्रत समाप्त करने की रस्म है और इसे निर्दिष्ट अवधि के दौरान मनाया जाना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी का पौराणिक संदर्भ
पुराणों में इसका वर्णन मिलता है। श्री हरिवंश पुराण के अनुसार, “इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना से समस्त पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।“
एकोदशी व्रतेनैव यत्र यत्र गतो भुवि।
पापं तस्य विनश्यन्ति विष्णुलोके महीयते॥
अर्थात एकादशी व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य विष्णु लोक में स्थान पाता है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व (Importance of Mokshada Ekadashi 2024)
यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने से मन और आत्मा का शुद्धिकरण होता है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म कई गुना अधिक फल देते हैं। इस पर व्रत का पालन करने से तथा दीन-दु:खी लोगों को दान देने से साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर ‘मोक्ष‘ प्राप्त करता है और वह भगवान विष्णु के दिव्य निवास, ‘बैकुंठ‘ में स्थान प्राप्त करता है।
मोक्षदा एकादशी को “मौना एकादशी” या “मौन अग्यारस” के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भक्त पूरे दिन बिना बोले “मौन” व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीमद् भगवत गीता सुनने से व्यक्ति को पवित्र अश्वमेध यज्ञ आयोजित कराने के बराबर पुण्य लाभ मिलता है। विष्णु पुराण में इस के व्रत को अन्य तेईस एकादशी के व्रतों के बराबर लाभकारी बताया गया है।
दान का महत्व (Importance of Donation)
दान का उल्लेख हमारे धर्मग्रंथों में एक महान पुण्य कार्य के रूप में किया गया है। यह न केवल जरूरतमंदों की सहायता करता है, बल्कि दानकर्ता के लिए आत्मिक शुद्धि और मोक्ष का मार्ग भी खोलता है। श्रीमद् भगवत गीता में कहा गया है-
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्॥
अर्थात् जो दान किसी भी स्वार्थ से रहित होकर उचित समय, स्थान और पात्र को दिया जाता है, वह सात्त्विक दान कहलाता है।
वेदों और उपनिषदों में दान को “धर्म का स्तंभ” कहा गया है। विशेष रूप से अन्नदान और वस्त्रदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
दान हमारे भीतर दया, करुणा और परोपकार की भावना को जाग्रत करता है। दानकर्ता के लिए यह कार्य न केवल सांसारिक जीवन में सुखद अनुभव लाता है, बल्कि परलोक में भी फलदायी होता है।
मोक्षदा एकादशी पर इन चीजों का करें दान
मोक्षदा एकादशी पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: मोक्षदा एकादशी का व्रत कब है?
उत्तर: साल 2024 में यह 11 दिसम्बर को मनाई जाएगी।
प्रश्न: मोक्षदा एकादशी कौन से भगवान के लिए समर्पित है?
उत्तर: यह भगवान विष्णु के लिए समर्पित है।
प्रश्न: मोक्षदा एकादशी पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: इस पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए।
प्रश्न: मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है।
प्रश्न: मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण कब है?
उत्तर: इस व्रत का पारण 12 दिसंबर 2024 को होगा। पारण का समय सुबह 7:05 से 9:09 बजे तक निर्धारित है। यह तिथि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के बाद द्वादशी के समय पर आती है, जो पारण के लिए शुभ मानी जाती है।