सनातन धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह व्रत न केवल आत्मशुद्धि का माध्यम है, बल्कि यह ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का भी श्रेष्ठ मार्ग माना जाता है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह एकादशी समस्त पापों को नष्ट करने वाली और साधक को मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। यह दिन व्रत, भजन, ध्यान और सेवा के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है।
पापमोचिनी एकादशी 2025 कब है? (When is Papamochani Ekadashi)
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च 2025 को सुबह 5:05 बजे शुरू होगी और अगले दिन, 26 मार्च को सुबह 3:45 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर, पापमोचिनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को किया जाएगा। एकादशी में व्रत के पारण का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इसे शुभ मुहूर्त में करना बेहद आवश्यक है। इस व्रत का पारण 26 मार्च को होगा, और इसके लिए उत्तम समय दोपहर 1:58 बजे से सायं 4:24 बजे तक रहेगा।
पापमोचिनी एकादशी का धार्मिक महत्व (Importance of Papamochani Ekadashi)
पापमोचिनी एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायक और समस्त पापों का नाश करने वाला बताया गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन विधिपूर्वक उपवास रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से समस्त कष्ट दूर होते हैं तथा जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
जो भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से इस एकादशी का व्रत करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वे परमधाम को प्राप्त करते हैं। इस दिन भगवान नारायण की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर, तुलसी दल और पंचामृत से अभिषेक कर, मंत्र जाप और भजन-कीर्तन करना अत्यंत शुभफलदायक माना गया है। ऐसा करने से घर में न केवल धन-धान्य की वृद्धि होती है, बल्कि ईश्वर की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।
पौराणिक कथा
पुराणों में इस एकादशी की महिमा का वर्णन मिलता है। भविष्यपुराण में एक कथा आती है कि च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि घोर तपस्या में लीन थे। देवराज इंद्र को भय हुआ कि कहीं वे स्वर्ग का राज न छीन लें, इसलिए उन्होंने स्वर्ग की अप्सरा मंजुघोषा को उनकी तपस्या भंग करने भेजा। अप्सरा ने अपनी सुंदरता और माधुर्य से ऋषि का मन मोहित कर लिया।
वर्षों तक मोहवश रहने के बाद जब ऋषि को अपनी तपस्या भंग होने का आभास हुआ, तो उन्हें अत्यंत पश्चाताप हुआ। उन्होंने अपने पापों से मुक्ति के लिए भगवान नारायण की आराधना की। तब देवर्षि नारद ने उन्हें पापमोचिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से मेधावी ऋषि ने अपने समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर पुनः तपस्या का मार्ग अपनाया।
भले ही मनुष्य मोह के जाल में फंस जाए, लेकिन यदि वह सच्चे हृदय से श्रीहरि की शरण में आकर एकादशी व्रत करता है, तो वह अपने सभी पापों से मुक्त होकर आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है।
दान की महिमा
सनातन धर्म में दान को सर्वोच्च पुण्य कार्यों में गिना गया है। खासकर एकादशी के दिन किया गया दान अक्षय फल देने वाला होता है। पापमोचिनी एकादशी पर दान करने से न केवल इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि अगले जन्मों में भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
दान करने के प्रमुख लाभ
पापों का क्षय: पापमोचिनी एकादशी के दिन दान करने से जीवन के जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं।
कर्मों की शुद्धि: जब हम निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सहायता करते हैं, तो हमारे कर्म शुद्ध होते हैं और हम आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं।
ईश्वर की कृपा: शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त इस दिन अन्न का दान करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
मोक्ष की प्राप्ति: एकादशी का व्रत और दान मिलकर मनुष्य को मोक्ष की ओर अग्रसर करते हैं।
दान का उल्लेख करते हुए पद्मपुराण में कहा गया है –
एकादश्यां तु यो दत्तं तदनन्तं भवेद्ध्रुवम्।
अर्थात, एकादशी पर किया गया दान अनंत गुना होकर शुभ फल प्रदान करता है।
पापमोचिनी एकादशी आत्मशुद्धि और ईश्वरीय अनुग्रह प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दिन व्रत, जप, ध्यान और दान का विशेष महत्व है। दान के माध्यम से हम न केवल अपने पापों से मुक्त होते हैं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं। इसलिए, इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना करें, व्रत का पालन करें और दान करके अपने जीवन को पुण्यमय बनाएं। श्रीहरि की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और मोक्ष की ओर अग्रसर हो!