पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। हर महीने आने वाली पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन स्नान, ध्यान और दान से व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। पौष मास की पूर्णिमा जिसे हम पौष पूर्णिमा कहते हैं, खासतौर पर धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है।
इस दिन किए गए स्नान और दान को बेहद पुण्यदायी माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
पौष पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त (Pausha Purnima Date)
पंचांग के अनुसार, इस साल पौष पूर्णिमा का व्रत 13 जनवरी को रखा जाएगा।
आयोजन | तारीख और समय |
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पूर्णिमा तिथि आरंभ | 13 जनवरी 2025 05:03 पूर्वाह्न |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 14 जनवरी 2025 03:56 पूर्वाह्न |
सनातन धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व है। चूंकि उदयकालीन तिथि 13 जनवरी को है, इसलिए इसी दिन व्रत और पूजा का विधान किया जाएगा।
महाकुंभ 2025 और पौष पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा का महत्व इस बार और भी बढ़ गया है क्योंकि इसी दिन से प्रयागराज की पावन धरती पर महाकुंभ मेले का शुभारंभ हो रहा है। कुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है, जबकि महाकुम्भ का आयोजन 144 वर्षों बाद किया जाता है। इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है।
महाकुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। ऐसी मान्यता है कि संगम में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुनर्जन्म के बंधनों से मुक्ति मिलती है। पौष पूर्णिमा के दिन कुंभ में स्नान और दान करने भक्तों को विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थ स्थानों पर गंगा स्नान करना शुभ माना जाता है। संगम पर स्नान के बाद सूर्य और चंद्रमा की पूजा का विधान है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए दान से मनुष्य को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वह ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र और धन का दान इस दिन सबसे अधिक शुभ माना जाता है।
दान का महत्व
पौष पूर्णिमा से प्रयागराज में कल्पवास का आरंभ हो जाता है। इस दिन किसी पवित्र तीर्थ स्थान पर स्नान करने से मनुष्य पापमुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ जाते हैं। इस दिन भोजन, तिल और कंबल दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और ग्रहों की बाधाएं दूर होती हैं।
सनातन परंपरा में दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। दान एक महत्व का उल्लेख करते हुए मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
पौष पूर्णिमा और महाकुंभ: एक दिव्य मिलन (Pausha Purnima & Makar Sankranti)
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 13 जनवरी, 2025 को होगा, जो पौष पूर्णिमा के साथ मेल खाता है, जो इस दिन को और भी शुभ बनाता है। लाखों तीर्थयात्री गंगा और यमुना के पवित्र जल में डुबकी लगाएंगे, उनका मानना है कि इससे उनकी आत्मा शुद्ध होगी और वे मोक्ष के करीब पहुंचेंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से, यह पौष पूर्णिमा रवि योग से धन्य है, एक ऐसा समय जब सूर्य का प्रभाव विशेष रूप से शक्तिशाली होता है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर हो जाएँ। रवि योग सुबह 7:15 बजे से 10:38 बजे के बीच होगा, जो पवित्र अनुष्ठानों के लिए एक आदर्श समय प्रदान करता है।
आध्यात्मिक जागृति की यात्रा
पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति गहन आध्यात्मिक अवसर प्रदान करते हैं। कुंभ मेला तीर्थयात्रियों के लिए सांसारिक सीमाओं को पार करने, पवित्रता की तलाश करने और दिव्य से जुड़ने का एक पवित्र स्थान बन जाता है। गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों का पवित्र जल आध्यात्मिक उत्थान के लिए नाली के रूप में कार्य करता है, जिससे भक्त शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से खुद को शुद्ध कर सकते हैं।
पौष पूर्णिमा पर इन चीजों का करें दान
पौष पूर्णिमा पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: पौष पूर्णिमा 2025 कब है?
उत्तर: साल 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाएगी।
प्रश्न: पौष पूर्णिमा कौन से भगवान के लिए समर्पित है?
उत्तर: पौष पूर्णिमा भगवान विष्णु के लिए समर्पित है।
प्रश्न: पौष पूर्णिमा पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: पौष पूर्णिमा पर जरूरतमंदों को तिल, कंबल और भोजन का दान करना चाहिए।
प्रश्न: 2025 में पौष पूर्णिमा कब शुरू और कब समाप्त होगी?
उत्तर: पौष पूर्णिमा 13 जनवरी, 2025 को सुबह 5:03 बजे शुरू होगी और 14 जनवरी, 2025 को सुबह 3:56 बजे समाप्त होगी।
प्रश्न: कुंभ मेले के दौरान मकर संक्रांति का क्या महत्व है?
उत्तर: मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश का प्रतीक है और इसे पवित्र नदियों में पवित्र डुबकी, आध्यात्मिक समृद्धि के लिए प्रार्थना और जीवंत उत्सवों के साथ मनाया जाता है, खासकर कुंभ मेले के दौरान।
प्रश्न: कुंभ मेले में अमृत स्नान क्या है?
उत्तर: अमृत स्नान कुंभ मेले के दौरान पहला शाही स्नान है, जो पौष पूर्णिमा पर होता है और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
प्रश्न: पौष पूर्णिमा के दौरान दान की क्या भूमिका है?
उत्तर: पौष पूर्णिमा पर दान करने से आध्यात्मिक विकास और पूर्णता मिलती है। भक्त विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में संलग्न होते हैं, जिसमें भोजन और कपड़े दान करना और ज़रूरतमंदों की सहायता के लिए अपना समय देना शामिल है।