घर में पहली संतान के आने से माता-पिता सहित परिजनों के चेहरे खुशी से खिल उठे। घर में हर्ष का वातावरण था, पड़ौसीयों व रिश्तेदारों में बधाई भेजी गई। किन्तु खुशी और उल्लास का यह भाव स्थाई नहीं रहा। बेटे का जन्म तो हुआ परन्तु दिव्यांगता के साथ। यह दासतां है, जौनपुर, (उप्र) रईया निवासी महेश गुप्ता के परिवार की।
पूजा गुप्ता ने पहली संतान को 2015 में जन्म दिया। नवजात के दोनों पांव घुटनों से टेढ़े एवं पंजे मुड़े हुए थे। यह देख माता-पिता और परिजनों ने बच्चें के लालन-पालन व अपनी गृहस्थी के भविष्य को लेकर जो रंगीन सपने सजांए थे, वह सारे बिखर गए। ड़ाॅक्टरों ने दिलासा दिया की पांवों को सीधा कर देंगे परन्तु समय लगेगा। इसी उम्मीद के साथ चिंतित माता-पिता बेटे की परवरिश में लग गए। नाम आदर्श रखा गया। वे उसे एक आदर्श बालक के रूप में ही देखना चाहते थे। पिता बिल्ड़िगों में रंगरोगन का ठेकेदारी पर करते थे। गोरखपुर, इलाहबाद, लखनऊ आदि अस्पतालों में बड़ी उम्मीदो के साथ उपचार करवाया परन्तु हर जगह से निराशा ही हाथ लगी।
इसी बीच पूजा को उसकी एक सहेली ने नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियो सुधार ऑपरेशन के बारे में बताते हुए संस्थान जाने की सलाह दी। इसी उम्मीद के साथ माता-पिता उदयपुर स्थित संस्थान आए। जहां विशेषज्ञ डाॅक्टरों ने जांच कर दोनों पैरों का सफल ऑपरेशन कर प्लास्टर बांधा। करीब एक माह बाद पुनः आने पर प्लास्टर खोला और निर्धारित व्यायाम करवाया, साथ ही पैरों का माप ले विशेष कैलिपर तैयार कर पहनाए। अब आदर्श कैलिपर के सहारे चलता और बच्चों के साथ खेलता है।
पूजा बताती है कि उपचार के दौरान संस्थान द्वारा संचालित निःशुल्क तीन माह के सिलाई प्रशिक्षण में ब्लाऊज, फ्राॅक, जींस, कुर्ता-पायजामा आदि की कटिंग, फिटिंग और सिलाई का कार्य सीखा। घर में आसपास के लोगों के उनके मनचाहे कपड़े सिल कर न केवल आत्मनिर्भर बनी बल्कि बेटे आदर्श को बेहतर शिक्षा देने।