अरावली की पहाडियो के मध्य बसे राजस्थान के अलवर जिले की किशनगढ़ नगरपालिका के फुलगांव निवासी बद्रीलाल की पत्नी सरोज देवी ने पास के ही सरकारी अस्पताल में 2012 में पुत्री को जन्म दिया ।
घर में दो भाइयों के बीच बेटी के जन्म से परिवारजन और सगे – सम्बन्धियों में खुशी और हर्ष माहौल था । किन्तु यह स्थाई नहीं रह पाया । पुत्री ने जन्म तो लिया, लेकिन दिव्यांगता के साथ । जन्मजात पोलियों के शिकार होने से दोनों पैर व घुटने कमजोर थे । पैर घुटने से और बांया पांव पंजे से मुड़ा हुआ था।
बेटी का करिश्मा नाम रखा । पिता मजदूरी–वेलदारी का काम करते है, तो माता खेतीहर मजदूर है । करिश्मा के दो भाई है । कुल मिलाकर परिवार में बच्चे – बच्चीयों सहित सात सदस्यों का भरण – पोषण माता – पिता की कमाई से बमुश्किल हो पाता है । ऐसे में बेटी की इस स्थिति से चिंतित थे । प्राइवेट अस्पताल में दिखाने पर बहुत अधिक खर्च बताया जो गरीबी स्थिति के चलते सम्भव ही नहीं नामुमकिन था । परिवारजन उपचार की तलाश में दरदर भटकते – भटकते थक से गए । बेटी के ठीक होने की आश छोड़ माता – पिता शोक में डूब से गए।
एक दिन पड़ोसी ने टीवी पर नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियों सुधार ऑपरेशन एंव कृत्रिम अंग वितरण का कार्यक्रम देखा तो तत्काल बद्रीलाल के पिता को बताया । ये देख और सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई ।
उम्मीद की किरण दिखी । सुचना मिलते ही माता – पिता अप्रैल माह के पहले सप्ताह में बेटी करिश्मा को लेकर उदयपुर संस्थान आये । यहां डॉक्टरों ने जाँच कर तीन दिन बाद 6 अप्रैल को बांए पांव का सफल ऑपरेशन किया । करीब एक माह बाद पुनः आने पर प्लास्टर काटा और दो बार विजिंग की गई । पैर बिल्कुल ठीक हो गया । 20 जून को दूसरे पाँव के पंजे व घुटने के ऑपरेशन हेतु आये , 24 जून को यह ऑपरेशन भी सफल रहा । जुलाई माह के तीसरे सप्ताह में फिर से आने पर प्लास्टर काटा और इस पैर की भी विजिंग हुई व यही रहे , फिर दोनों पैरों का नाप लेकर 1 अगस्त 2022 को विशेष कैलिपर्स तैयार कर पहनाये गए ।
परिवारजन बताते है की अब बेटी के दोनों पैर ठीक हो गए है, ये आराम से चलती है । ये देख सभी बहुत प्रसन्न हुए, सभी संस्थान का आभार व्यक्त करते है !