लखदेव सिंह जडेजा (35) राजकोट (गुजरात) के रहने वाले हैं। काफी सुलझे व्यक्ति हंै। पेशे से कार चालक हैं। जीवन काफी चुनौतीभरा रहा। पत्नी के गले में कैंसर होने से दुःखी हैं। दो बार ऑपरेशन करवाया हो चुका हैं। 13 साल पहले बीमारी के कारण बेटे को खो दिया। करीब 10 माह पहले नीम के पेड़ पर देवी माँ की ध्वजा (झण्डा) लगाते समय उन्हें पेड के समीप से गुजर रही 11000 हाईवॉल्टेज बिजली लाइन के करंट से बुरी तरह झुलस गए। उपचार के दौरान चारों हाथ-पैर कटवाने पड़े। स्थिति काफी गम्भीर होते हुए भी जीवन में हौसला बुलंद रखा। ये इतना कुछ होने के बाद भी कहते हैं कि ‘परमात्मा जो करता है, अच्छे उसे हंसकर स्वीकार करना चाहिए’। ईश्वर में इनकी अटूट आस्था है। बच्चे की मौत होने पर भी कहते हैं कि वह परमात्मा का ही था, उन्होंने वापिस ले लिया। जो अपना था ही नहीं उसके लिए दुःख क्यों करना। दिसम्बर 2023 में सोशल मीडिया से नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क कृत्रिम अंग वितरण और सेवा प्रकल्पों की जानकारी मिली तो उदयपुर संस्थान आए। जहां चारों हाथ-पांवों का विशेषज्ञ ड़ॉक्टरों की टीम ने माप ले कृत्रिम अंग प्रदान किए। करीब 4 सप्ताह के अभ्यास के बाद अब वे कृत्रिम अंगों के सहारे अपने पैरों पर खड़े हो चलने लगे हैं। वें कहते हंै कि जीवन में कठिनाईयों के बावजूद हार नहीं माननी चाहिए। सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर आगे कदम बढ़ाना हमें मंजिल की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।