सन्दीप काबले | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग

मिला कृत्रिम अंग का उपहार
सन्दीप कि रूकी जिन्दगी दौड़ने लगी

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सफलता की कहानी : सन्दीप

 

महाराष्ट्र रत्नागीरी के मूल निवासी सन्दीप काबले सामान्य परिवार से है, एक प्राइवेट केमिकल कम्पनी में काम कर 10,000रु मासिक कमाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुए गृहस्थी की गाड़ी को चला रहे थे,

कि 8 माह पहले जनवरी 2022 में एक दिन काल बन कर आया, जिसने उनके तमाम सपनोें को तोड़ कर रख दिया। कम्पनी में काम कर रहे थे कि एक दुर्घटना घटी, उस दुर्घटना के सन्दीप भी शिकार हुए। कम्पनी के लोगों ने अस्पताल पहुंचाया, होश आने पर पता चला कि दोनों पांव बांया पैर घुटने के नीचे से और दांया पैर पंजे से खो दिए है। सन्दीप की स्थिती देख परिवार बिलख रहा था। इस हादसे ने सभी परिजनों को तोड़ के रख दिया। 2 माह तक इलाज चला, काम छूट गया। परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था।

इसी बीच एक दिन उम्मीद की किरण बनकर कम्पनी के साथी नितिन जोशी संदेश लेकर आए, उन्हें कहीं से राजस्थान, उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क उपचार, सहयोग एवं कृत्रिम अंग वितरण के बारे में जानकारी मिली। दोनों तत्काल ही बीना समय व्यर्थ किए, 9 अगस्त 2022 को संस्थान पहुंचे। संस्थान की प्रोस्थेटिक टीम ने 11 अगस्त को कटे पांवों का मेजरमेंट लिया और 12 अगस्त को विशेष कृत्रिम पांव एवं केलिपर तैयार कर पहनाए। उसे लगाने, खोलने और चलने-फिरने की दो दिनों तक ट्रेनिंग दी गई।

सन्दीप बताते है कि निःशुल्क कृत्रिम पांव लगने से.. मैं इतना खुश हूं कि कह नहीं सकता…. बस इतना ही कहूंगा कि मेरी जिन्दगी रूक गई थी जिसे फिर से दौड़ दिया। नारायण सेवा संस्थान और यहां के ड़ाॅक्टर व टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद….आपने निःशुल्क कृत्रिम अंग का मुझे उपहार दिया….. मैं इसके लिए आजीवन आभारी रहूंगा… और मेरे जैसे दिव्यांग एवं जरूरतमंदो को संस्थान पहंूचा कर उन्हें भी दिव्यांगता के दुःख से मुक्ति दिलवाने का प्रयास करूंगा।