जन्म के इक्कीस वर्ष बाद घिसटती जिंदगी से मुक्ति प्राप्त कर संजू पहली बार अपने बल पर दोनों पैरों पर खड़ी होकर चलने ही नहीं लगी बल्कि आत्मनिर्भर भी बानी।
मंदसौर (म.प्र.) की रहने वाली संजू सोलंकी (22) बताती हैं कि जन्म के एक साल बाद ही अचानक पोलियो ने जकड़ कर न सिर्फ बचपन की मस्ती को छीन लिया बल्कि उम्र के सोपान चढ़ते चलना -फिरने से भी महरूम कर दिया। जमीन पर घिसटते -रेंगते जीने को मजबूर थी। माता-पिता ने उपचार के हर सम्भव प्रयास किए लेकिन कहीं से भी संतोषजनक राहत नहीं मिली। दूसरी तरफ बेटी की पीड़ा और स्थिति के बारे में सोच माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता खाए जा रही थी। लोगों के ताने भी दिल में तीर की तरह चुभते थे। कि शादी तो होगी नहीं माँ -बाप पर आजीवन बोझ रहेगी। इसी बीच एक दिन सोशल मीडिया से नारायण सेवा संस्थान के बारे में जानकारी मिली, उदयपुर स्थित संस्थान आने पर उसके दोनों पांवों की निःशुल्क सर्जरी हुई करीब दो माह बाद कैलिपर्स के सहारे पहली बार चलना भी शुरू किया। इसी दौरान आत्मनिर्भर बनाने के भाव रखते हुए संस्थान से ही निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। जिससे उसके जीवन को एक नई दिशा मिली । अब वह पूरी तरह खुश है और उसका दिन कम्प्यूटर पर अंगुलिया चलाते बितता है और इतनी आमदनी कर लेती है,जिससे न सिर्फ उसकी जरूरतें पूरी हों, बल्कि घर खर्च में भी सहायता हो।
परिजन बताते है कि संस्थान ने बेटी को अपने पैरों पर खड़ा कर आत्मनिर्भर बनाया। हमारे पास आभार व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है। बस इतना ही कहेंगे कि संस्थान ने पूरे परिवार को एक नया जीवन दिया हैं।