शमा | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क पोलियो सुधार ऑपरेशन

शमा को मिली जन्मजात दिव्यांगता से निजात

Start Chat

सफलता की कहानी : शमा

 

जन्मजात पोलियो के शिकार होने के कारण दोनों पांवो के पंजो में टेढ़ापन और पीछे की ओर मुड़े होने से चलने-फिरने में बहुत परेशानी होने लगी। दुःख की यह दास्ता (उ.प्र.) रामपुर जिले कि निवासी शमा परवीन (18) की है।

छः भाई-बहिनों में शमा घर में सबसे छोटी है। जन्म से पोलियोग्रस्त होने से चलने-फिरने में असमर्थ थी। माता-पिता बेटी की यह दशा देख दुःखी हो गए। आस-पास के कई अस्पतालों के चक्कर लगाए परन्तु ठीक उपचार नहीं मिला। जहां भी जाते बस प्लास्टर चढ़ा देते, 9 बार प्लास्टर चढ़ाने पर भी सुधार नहीं हुआ। पिता  मजदूरी व भाई कारपेन्टर का काम कर परिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से चला रहे है। बेटी के उम्र बढ़ने के साथ दिव्यांगता का दुःख भी बढ़ता जा रहा था। स्कूल जाने-आने में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। कभी-कभी स्कूल से आने पर दर्द के मारे रोने लगती थी। इसी कारण से स्कूल भी बीच में छूट गया। घर वालों को बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी। इसी सोच के चलते आंसू बहाने के सिवाए कुछ भी नहीं कर पा रहें थे। 

इसी बीच उम्मीद कि किरण बन रिश्तेदार ने नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियो आपरेशन के बारे मेें बताते हुए, उदयपुर जाने कि सलाह दी। सितम्बर 2021 मेें परिजनों के साथ शमा संस्थान आई। जहां डॉक्टरों व स्टाफ ने जांच कर 19 सितम्बर को बाएं पांव का सफल आपरेशन किया, करीब एक माह बाद पुनः आने पर प्लास्टर खोला साथ ही तीन से चार बार विजिंग कर उपचार निरन्तर रहा। दूसरे पांव का आपरेशन 25 अगस्त 2022 को हुआ, इस पांव की भी विजिंग कर पैरों का नाप लिया और विशेष कैलिपर पहनाएं। 2 साल के सफल उपचार के बाद दोनों पांव सीधे हो शमा अपने पैरो पर खड़ी हो गई, अब कैलिपर के सहारे आराम से चलती है। 

शमा को चलते-फिरते देख माता-पिता के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। सभी बहुत प्रसन्न है। परिजन बताते है कि वह जिंदगी से हार बैठी थी, लेकिन संस्थान ने उसे न सिर्फ पांवो पर खड़ा किया, बल्कि जीने का होसला भी दिया।