बिहार के जाफरपुर निवासी सनी कुमार वृद्ध माता-पिता का सहारा बनने का संकल्प लेकर मुंबई गया था। जहां उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स शुरू किया। सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक ट्रेन हादसे ने उसके दोनों पैर छीन लिए।
यह बात करीब 8 वर्ष पूर्व की है। सनी मुंबई की लोकाल ट्रैन से सफर करता था। एक दिन ट्रैन में चढ़ने के दौरान मची अफरा-तफरी में वह नीचे गिर पड़ा। ट्रैन के नीचे आने से दोनों पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए। जख्म इतना भयानक था कि जान बचाने के लिए दोनों पैर काटने पड़े। सात साल तक सनी ने बिना पैरों के घिसटते हुए जीवन जीया। माँ-बाप का सहारा बनने की बजाय उनके सहारे जीवन जीने पर मजबूर हो गया।
सालों बाद जब उसे संस्थान की जानकारी मिली तो वो कृत्रिम पैर लगवाने उदयपुर आया। संस्थान में जांच के बाद दोनों पैरों में निःशुल्क कृत्रिम अंग लगाए,और फिजियोथेरेपी दी गयी। उसके बाद सनी कृत्रिम पैरों पर चलने लगा। संस्थान में ही निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बना। अब वो फिर से अपने माता-पिता का सहारा बनने के लिए तैयार है।