उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले प्रमोद कुमार ने अपनी जिंदगी में जो हौसला दिखाया, वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। बचपन में एक दुर्घटना में उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया था। यह घटना किसी के भी सपनों को तोड़ सकती थी, लेकिन प्रमोद ने इसे अपनी ताकत बना लिया।
परिस्थितियों ने उन्हें चुनौती दी, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बचपन से ही प्रमोद को क्रिकेट खेलने का शौक था। अपने एक हाथ से उन्होंने खेल में ऐसी महारत हासिल की कि लोग दंग रह जाते। उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें प्रोफेशनल क्रिकेटर बना दिया।
आज प्रमोद दिल्ली राज्य की क्रिकेट टीम से खेलते हैं और अपनी टीम के लिए एक अहम खिलाड़ी हैं। वर्तमान में उन्होंने उदयपुर में आयोजित चौथी दिव्यांगता क्रिकेट चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। उनके शानदार प्रदर्शन ने न केवल उनकी टीम को मजबूती दी है, बल्कि यह भी साबित किया है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
प्रमोद की कहानी इस बात का उदाहरण है कि दिव्यांगता केवल एक शारीरिक स्थिति है, लेकिन असली ताकत मानसिक दृढ़ता में होती है। उन्होंने अपनी मेहनत से दिखाया कि सीमाओं को पार किया जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में असली जीत कभी हार न मानने में है।