हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष की द्वितीय मास वैशाख का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस मास की अमावस्या तिथि विशेष रूप से पुण्यदायिनी मानी जाती है। जब सूर्य मेष राशि में स्थित होता है और चंद्रमा अस्त हो जाता है, तब जो अमावस्या आती है, वही वैशाख अमावस्या कहलाती है। यह तिथि पितृऋण से मुक्ति, आत्मशुद्धि, स्नान-दान, तर्पण और ध्यान-साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है।
वैशाख अमावस्या का महत्व (Importance of Vaishakha Amavasya)
कहा जाता है कि वैशाख अमावस्या के शुभ दिन पर पीपल के पेड़ की पूजा करने और जल अर्पित करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पवित्र वैशाख माह में माँ लक्ष्मी का पूजन भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए उचित माना जाता है। इस दौरान यदि आप दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देते हैं तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा की शांति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वैशाख अमावस्या पर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे कभी न समाप्त होने वाले पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त (Vaishakha Amavasya Muhurat)
वैदिक पंचांग के आधार पर, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अप्रैल को सुबह 4:49 बजे शुरू होगी और यह अगले दिन, 28 अप्रैल को देर रात 1:00 बजे समाप्त होगी। इस कारण 27 अप्रैल को वैशाख अमावस्या का त्योहार मनाया जाएगा।
वैशाख अमावस्या पर दान का महत्व (Importance of Vaishakha Amavasya)
वैशाख अमावस्या में भोजन दान और जल का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र दिन पर भोजन और जल का दान करने से व्यक्ति को तीर्थ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन दीन-हीन, असहाय लोगों को भोजन कराने के साथ ही लोगों को पानी पिलाएं और राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था कराएं। ऐसा करने से साधकों के ऊपर भगवान की कृपा बनी रहती है और उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
सनातन परंपरा में दान देना बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने मन वचन और कर्म के अनुसार शुद्ध अंतः करण से ब्राह्मणों और दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देता है उसे उसका फल इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी प्राप्त होता है। अमावस्या के पवित्र दिन पर दान देने से साधकों की खुशी बढ़ जाती है जो उनके जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लेकर आती है।
दान देने के महत्व का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में किया गया है। मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
वैशाख अमावस्या के पवित्र अवसर पर करें इन चीजों का दान
वैशाख अमावस्या के शुभ अवसर पर अन्न और भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही इस पुण्यकारी दिन पर वस्त्र और शिक्षा दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने तथा वस्त्र दान करने के साथ शिक्षा से संबंधित चीजें दान करना पुण्यकारी माना जाता है। वैशाख अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।