01 March 2024

Vijaya Ekadashi 2024 Date: कब है विजया एकादशी, जानिए इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा

सनातन परंपरा में एकादशी बेहद महत्वपूर्ण और फलदायी व्रत माना जाता है। एकादशी हर माह में दो बार आती है जिसमें इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। फाल्गुन माह की पहली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग विजया एकादशी के दिन विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं उन पर भगवान नारायण की कृपा होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

 

कब है विजया एकादशी? (Vijaya Ekadashi 2024 date)

इस साल विजया एकादशी 6 मार्च को मनाई जाएगी। इस एकादशी की शुरुआत 6 मार्च को प्रातः काल में होगी और समापन 7 मार्च को ब्रह्म मुहूर्त में होगा। व्रत का पारण एकादशी के अगले दिन किया जाएगा। 

 

विजया एकादशी व्रत का महत्व (Importance of Vijaya Ekadashi fast)

विजया एकादशी का व्रत समस्त पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जातक के ऊपर चंद्र ग्रह का अच्छा प्रभाव पड़ता है, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत करने से जातक के ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है साथ ही सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

 

विजया एकादशी की पूजा विधि 

विजया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का ध्यान करें और एकादशी के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें फल, फूल, दीपक, चंदन, तुलसी आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि विधान के साथ पूजा करें। विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें। भगवान विष्णु की आरती करें, साथ ही ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान दक्षिणा दें। 

 

एकादशी की महिमा 

विजया एकादशी का उल्लेख पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। जिसके अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत किया था। कहा जाता है कि विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियां भी लोगों के अनुकूल हो जाती हैं और लोगों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। कहा जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को स्वर्णदान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही प्राणियों को मोक्ष प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि इस महान पुण्यदायक व्रत को करने से व्रती को ‘वाजपेय यज्ञ’ कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई शत्रु आपको परेशान करता है तो उसे परास्त करने के लिए ये व्रत करना चाहिए। 

 

विजया एकादशी पर व्रत के नियम (Rules of fasting on Vijaya Ekadashi) 

इस दिन भगवान विष्णु के भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावनाओं से दूर चाहिए। साथ ही इस दिन गहरे काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करें। एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इस दिन रात्रि के समय पूजा उपासना भगवान विष्णु के भजन गाना बेहद पुण्यकारी माना गया है।

 

विजया एकादशी पर दान का महत्व 

किसी भी उपवास या व्रत करने के बाद गरीब और दीन-हीन, असहाय जरूरतमंदों को दान देना सनातन परंपरा में बेहद पुण्यकारी माना जाता है। दान देने और दान से होने वाले लाभों का उल्लेख हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथों मे मिलता है।

 

विजया एकादशी पर करें इन चीजों का दान

अन्न और भोजन का दान : सनातन परंपरा में अन्न और भोजन का दान सबसे अच्छा माना गया है। इसलिए इस दिन निर्धन और असहाय बच्चों को अन्न का दान करना चाहिए। विजया एकादशी के शुभ अवसर पर दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नारायण सेवा संस्थान विजया एकादशी पर दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने जा रहा है। इस पावन अवसर पर बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें। 

वस्त्र और शिक्षा दान : एकादशी के शुभ अवसर पर वस्त्र और शिक्षा का दान भी बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए इस शुभ दिन पर आप निर्धन बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे- कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करें। साथ ही यदि संभव हो तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। विजया एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान करने के आंदोलन में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।