करवा चौथ, उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार पति-पत्नी के बीच गहरे प्रेम और समर्पण का प्रमाण है। करवा चौथ हिंदू महीने कार्तिक में पूर्णिमा के बाद चौथे दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस बार का करवा चौथ 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं।
करवा चौथ की उत्पत्ति
बहुत सी प्राचीन कथाओं में करवा चौथा का उल्लेख मिलता है। इस व्रत की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। एक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि देवताओं और दानवों में युद्ध हो गया। जिसमें देवता पिछड़ने लगे। इसके बाद देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। तब ब्रह्मदेव ने देवताओं की पत्नियों को सुझाव दिया कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी पत्नियों को अपने-अपने पति के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करना चाहिए। देवताओं की पत्नियों ने ब्रह्मदेव की यह सलाह मान ली।
ब्रह्मदेव के कहे अनुसार देवताओं की सभी पत्नियों ने कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन व्रत रखा। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की विजय हुई। इसके बाद सभी पत्नियों ने चांद के समक्ष व्रत खोला और भोजन किया। तब से ही करवा चौथ के व्रत की परंपरा चली आ रही है।
करवा चौथ की रस्में
उपवास: सूर्योदय से चंद्रोदय तक, विवाहित महिलाएं भोजन और पानी से परहेज करती हैं। यह एक कठोर व्रत माना जाता है, जो एक पत्नी द्वारा अपने पति की भलाई के लिए किए गए बलिदान का प्रतीक है।
गायन और सजावट: पूरे दिन, महिलाएं पारंपरिक गीत गाने के लिए एक साथ आती हैं और अपने हाथों को जटिल मेहंदी डिजाइनों से सजाती हैं। साथ ही बेहतरीन पारंपरिक परिधान पहनती हैं।
चंद्रमा की पूजा करना: जैसे-जैसे शाम करीब आती है, महिलाएं घर पर चंद्रमा की पूजा करने के लिए इकट्ठा होती हैं। चंद्रमा को उनके पतियों की लंबी उम्र और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। चांद देखने और अर्घ्य देने के बाद ही वे अपना व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का व्रत प्यार, विश्वास और प्रतिबद्धता का उत्सव है। यह त्यौहार पति-पत्नी के बीच अटूट बंधन और एक-दूसरे के लिए त्याग का प्रतीक है। यह दिन उस समर्पण और निष्ठा की याद दिलाता है जो विवाह को मजबूत और स्थायी बनाए रखता है। करवा चौथ महिलाओं के लिए अपने पतियों के प्रति गहरे प्यार और स्नेह को व्यक्त करने और पुरुषों के लिए अपनी पत्नियों के अटूट समर्थन को स्वीकार करने और उसकी सराहना करने का अवसर है।