09 January 2025

Mahakumbh 2025 Food Donation: महाकुंभ 2025 में भोजन दान- सेवा, भक्ति और मानवता का दिव्य संगम

144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद 2025 में प्रयागराज फिर से महाकुंभ के अद्भुत और दिव्य आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम पर आयोजित यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानवता, भक्ति और सेवा का एक अनुपम उदाहरण है। इस पवित्र अवसर पर, नारायण सेवा संस्थान ने अपनी विशेष “भंडारा सेवा” के माध्यम से लाखों श्रद्धालुओं और जरूरतमंदों की सेवा करने का संकल्प लिया है।

 

महाकुंभ का आध्यात्मिक महत्व

महाकुंभ की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है। इसे धर्म, भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व माना जाता है। सनातन धर्मावलंबियों का ऐसा विश्वास है कि कुंभ में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

इस आयोजन में हर वर्ग, हर उम्र और हर क्षेत्र से लोग शामिल होते हैं। महाकुंभ में डुबकी लगाकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने और भगवान की कृपा प्राप्त करने की परंपरा है। लेकिन इस आयोजन का असली सौंदर्य इसकी सेवा भावना में है।

 

नारायण सेवा संस्थान की भंडारा सेवा

महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं और इतने बड़े आयोजन में श्रद्धालुओं के लिए भोजन जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती होती है। नारायण सेवा संस्थान इस महाकुंभ में “भंडारा सेवा” का आयोजन करने जा रहा है। जिसके माध्यम से महाकुंभ में पधारे श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन कराया जाएगा। 

 

दान का महत्व 

दान करना हिंदू धर्म में सबसे बड़े पुण्य कर्मों में से एक माना गया है। विशेष रूप से महाकुंभ जैसे पवित्र अवसर पर दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। श्रीमद्भगवद गीता में कहा गया है:

 

दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।

देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।

 

जो दान कर्तव्य समझकर, किसी फल की आशा के बिना, उचित काल तथा स्थान में और आध्यात्मिक कार्यों में लगे पात्र व्यक्ति को दिया जाता है वही दान सात्विक माना जाता है।  

महाकुंभ के दौरान भोजन का दान केवल लोगों की जरूरत को पूरा नहीं करता, बल्कि यह आत्मा को शांति और ईश्वर की कृपा भी प्रदान करता है।

 

भक्ति और सेवा का संगम

महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है; यह सेवा और समर्पण का भी पर्व है। नारायण सेवा संस्थान की “भंडारा सेवा” इस बात का प्रतीक है कि धर्म केवल आत्मिक मुक्ति तक सीमित नहीं है। धर्म का असली अर्थ है—दूसरों की सेवा करना, उनकी मदद करना और समाज में प्रेम का संदेश फैलाना।

 

महाकुंभ में आपका सहयोग

नारायण सेवा संस्थान इस “भंडारा सेवा” में आप सभी को सहभागी बनने का निमंत्रण देता है। आप छोटा सा योगदान देकर इस सेवा प्रकल्प में भाग ले सकते हैं। आपका छोटा-सा सहयोग इस दिव्य महाकुंभ में स्नान के लिए पधारे श्रद्धालुओं और जरूरतमंदों का पेट भर सकता है। 

दान केवल देने की प्रक्रिया नहीं है; यह आपके भीतर के अहंकार को मिटाने और ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। महाकुंभ जो कि प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में होने जा रहा है इस पवित्र अवसर पर, जब लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाकर आत्मिक शुद्धि की कामना करेंगे, और आपके द्वारा दिया गया प्रसाद (भोजन) ग्रहण करेंगे तब वह प्रसाद साक्षात् ईश्वर को समर्पित होगा। 

महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि धर्म, सेवा और मानवता का एक विशाल संगम है। नारायण सेवा संस्थान की “भंडारा सेवा” इस बात का प्रमाण है कि सच्चा धर्म वह है, जो दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे।

आइए, इस दिव्य एवं पवित्र अवसर पर हम सब मिलकर सेवा और समर्पण का यह संकल्प लें। इस महाकुंभ में न केवल संगम में डुबकी लगाएं, बल्कि अपनी आत्मा को सेवा के अमृत से भी तृप्त करें।

भक्ति, सेवा और दान का यह संगम महाकुंभ 2025 को यादगार बनाएगा। आइए, इस पुण्यकारी अवसर पर श्रद्धालुओं को भोजन करवाकर भक्ति की मिसाल पेश करें।