रवि देवांगन की कहानी पढ़ें - Narayan Seva Sansthan
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नया काम - नई पहचान

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सफलता की कहानी: रवि देवांगन

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गांव में रहने वाले रवि देवांगन हर दिन की तरह 28 जनवरी 2021 की सुबह भी वह अपनी ड्यूटी पर निकले थे, उन्हें नहीं पता था कि अगले कुछ ही पल उनकी जिंदगी में भूचाल लाने वाले हैं। एक भयानक मोड़ पर उनकी बस और एक ट्रक की आमने-सामने भिड़न्त हो गई। कंडक्टर रवि गंभीर रूप से घायल हो गए। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तब उनका बायां पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। डॉक्टरों ने परिवार की सहमति से घुटने तक पांव को काट दिया। क्योंकि आगे उन्हें गेगरीन होने की आशंका थी। यह 4 फरवरी का दिन था। यह समय उनके और उनके परिवार के लिए अत्यंत कठिनाई भरा था। रवि के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल था, कि अब उसकी जिंदगी पहले जैसी नहीं रह पाएगी। हर कदम पर उन्हें किसी न किसी के सहारे की जरूरत होगी और हुई भी।

इसी कठिन दौर में, उन्हें सोशल मीडिया से उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के बारे में पता चला कि वहां निःशुल्क नारायण लिंब लगाए जाते हैं। रवि ने बिना देर किए संस्थान से संपर्क किया। संस्थान आने पर पांव का माप ले विशेष कृत्रिम पैर पहनाकर चलने-फिरने की ट्रेनिग दी गई।

उन्होंने यहां केवल चलना ही नहीं सीखा, बल्कि घर बैठे रोजगार करने की दिशा में कदम भी बढ़ाया। संस्थान द्वारा संचालित निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण केंद्र में निःशुल्क मोबाइल रिपेयरिंग कोर्स में प्रवेश लिया। जिसने उन्हें न केवल तकनीकी ज्ञान दिया, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ाया।
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, रवि ने एक नई ऊर्जा के साथ अपनी जिंदगी शुरू करने का फैसला किया। वे कहते है कि अब ‘मेरी एक नई पहचान होगी’ और नया काम होगा’। उनके इन शब्दों में आत्मविश्वास और आशा की झलक साफ नजर आती थी।