30 January 2025

Jaya Ekadashi 2025: जानें जया एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और दान का महत्व

जया एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी तिथि है। यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस पावन दिन का उल्लेख अनेक पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जहां इसे पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी बताया गया है। जया एकादशी व्रत करने तथा दीन-दु:खी, जरूरतमंदों को दान देने से न केवल जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि परमात्मा की कृपा भी प्राप्त होती है।

 

जया एकादशी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण 

साल 2025 में जया एकादशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी। एकादशी का शुभ मुहूर्त 07 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट पर शुरू हो रहा है। जबकि इसका समापन 08 फरवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए जया एकादशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी। 

व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। धार्मिक परंपरा के अनुसार, पारण का समय सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले होना चाहिए। पंचांग के अनुसार पारण का समय 09 फरवरी को प्रातः काल 07 बजकर 04 मिनट से लेकर 09 बजकर 17 मिनट तक है।

 

जया एकादशी का महत्व 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति भूत-प्रेत योनि से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है। भगवान विष्णु की आराधना इस दिन विशेष फलदायी मानी जाती है। पद्म पुराण में कहा गया है:

 

एकादश्यां तु यो भक्त्या, करिष्यति नरः श्रद्धान्वितः।

सर्वपापविनिर्मुक्तः, विष्णुलोकं स गच्छति।

 

अर्थात, जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

 

दान की महिमा

हिन्दू धर्म में सही कालखंड पर दान देने का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि सही समय  पर दान करने से व्यक्ति को कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।

राजा बलि सनातन परंपरा के सबसे बड़े दानवीरों में से एक माने जाते हैं। उनकी दानशीलता इतनी महान थी कि स्वयं भगवान विष्णु याचक बनकर उनके द्वार पर आए और तीनों लोकों को दान में प्राप्त किया। बलि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। 

श्रीमद्भागवत महापुराण के आठवें स्कंध में बलि की दानवीरता की कथा विस्तृत रूप से वर्णित है। विश्वजित् यज्ञ के दौरान बलि को अजेय रथ, धनुष, दो अक्षय तरकश और कवच प्राप्त हुए। इनकी शक्ति से उन्होंने इंद्र की राजधानी अमरावती पर आक्रमण कर दिया और तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया।

देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और नर्मदा नदी के उत्तर तट पर बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचे। बलि ने उनका आदरपूर्वक पूजन किया। वामन रूप में भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी। गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचानकर बलि को दान न देने के लिए मना किया, लेकिन बलि अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहे। इस पर शुक्राचार्य ने उन्हें शाप दे दिया 

बलि ने गुरु के शाप को स्वीकारते हुए कहा:-

 

श्रेय: कुर्वन्ति भूतानां साधवो दुस्त्यजासुभि:।

दध्यङ्शिबिप्रभृतय: को विकल्पो धरादिषु॥

 

अर्थात, जब दधीचि और शिबि जैसे महापुरुषों ने अपने प्राणों का दान कर दिया, तो पृथ्वी आदि वस्तुओं को देने में संकोच कैसा? भगवान ने एक पग में धरती, दूसरे में आकाश नाप लिया। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। भगवान उनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया।

 

राजा बलि इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि छल और गुरु के श्राप के बावजूद उन्होंने प्रतिज्ञा नहीं छोड़ी। उन्होंने जीवन के इस सत्य को जान लिया था कि देना ही सबसे बड़ा सुख है।

 

जया एकादशी पर करें इन चीजों का दान 

जया एकादशी पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।  

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रश्न: जया एकादशी 2025 कब है?

उत्तर: साल 2025 में जया एकादशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी। 

प्रश्न: जया एकादशी कौन से भगवान के लिए समर्पित है?

उत्तर: जया एकादशी भगवान विष्णु के लिए समर्पित है। 

प्रश्न: जया एकादशी पर किन चीजों का दान करना चाहिए?

उत्तर: जया एकादशी पर जरूरतमंदों को अन्न और भोजन का दान करना चाहिए।