19 September 2024

Shradh Paksha 2024: जानिए श्राद्ध की तिथि और दान का महत्व

इस भवसागर से मुक्त हो चुके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में जो विधिपूर्वक श्रद्धायुक्त होकर तर्पण, दान आदि किया जाता है उसे श्राद्ध कहा जाता है। इसे महालय और पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस धरती में हमें जन्म पूर्वजों से ही मिला है, ऐसे में उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करना हमारा कर्तव्य है। सनातन धर्म के कई ग्रंथों में श्राद्ध का उल्लेख किया गया है जिनमें ब्रह्म, विष्णु, वायु, वराह और मत्स्य पुराण प्रमुख हैं।

श्राद्ध की शुरुआत वैदिक काल से हुई है। ब्रह्म पुराण में श्राद्ध का उल्लेख करते हुए कहा गया है, “जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।”

श्राद्ध 2024 तिथि 

साल 2024 में श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ होगा। इस अवधि के दौरान सभी सनातन धर्मावलम्बी तिथि के अनुसार अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।

 

इसलिए किया जाता है श्राद्ध

शास्त्रों एवं ग्रंथों में वसु, रुद्र और आदित्य को श्राद्ध का देवता बताया गया है। श्राद्ध पक्ष में हर व्यक्ति के तीन पूर्वजों पिता, दादा और परदादा को क्रम से वसु, रुद्र और आदित्य माना जाता है। जब पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है तब वे (पिता, दादा और परदादा) ही सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं। श्राद्ध कर्म के दौरान जो भी मंत्र उच्चारित किए जाते है या आहुतियां दी जाती हैं वह ये सभी अन्य पितरों तक ले जाते हैं। माना जाता है कि पिता, दादा और परदादा श्राद्ध कराने वाले व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके रीति-रिवाजों के अनुसार कराये गये श्राद्ध-कर्म से तृप्त होकर परिवार को सुख-समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं।

जिस मृत व्यक्ति को इस भवसागर से मुक्त हुए एक साल से अधिक समय हो जाता है उसे ‘पितर’ कहा जाता है। श्राद्ध पितरों तक आहार पहुंचाने का एक साधन है। मान्यता है कि श्राद्ध के दौरान आहार पाकर पितर विभिन्न माध्यमों से हमारे निकट आते हैं और तृप्त होते हैं। 

श्राद्ध में कुश एवं तिल का महत्व

कहा जाता है कि कुश और तिल दोनों भगवान विष्णु के शरीर से निकले हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कुश में ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों का वास होता है। कुश का अग्रभाग देवताओं का माना जाता है। मध्य भाग मनुष्यों का और जड़ पितरों की मानी जाती है। तिल पितरों को प्रिय होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। इसलिए श्राद्ध की पूजा में कुश एवं तिल को जरूर शामिल किया जाता है। 

श्राद्ध के लिए पूजा सामग्री 

श्राद्ध की पूजा एक विद्वान ब्राह्मण से करवाना चाहिए। पूजा में तिल, उड़द, चावल, जौ, जल, जड़युक्त सब्जी, कास के फूल और फल का होना बेहद जरूरी है। श्राद्ध की पूजा पूरे मन के साथ करवाएं। इस दिन क्रोध न करें। 

 

श्राद्ध पक्ष में इन चीजों का करें दान 

श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को दान देना अत्यंत शुभकारी माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को खीर पूड़ी का भोग खिलाने के साथ ही दीन-हीन निर्धन लोगों को खाना खिलाना चाहिए। साथ इस दिन कौओं को भी खाना खिलाना चाहिए। इसलिए साधक थाली में खाना रखकर कौओं का आवाहन करें। इन सब के अलावा श्राद्ध पक्ष में तिल, गाय और स्वर्ण दान का भी विशेष महत्व है। 

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-

 

प्रश्न: श्राद्ध पक्ष 2024 कब है ?

उत्तर: श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक मनाया जाएगा। 

 

प्रश्न: श्राद्ध पक्ष में किन लोगों को दान देना चाहिए ?

उत्तर: श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को दान देना चाहिए। 

 

प्रश्न: श्राद्ध पक्ष पर किन चीजों का दान करना चाहिए ?

उत्तर: श्राद्ध पक्ष के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, गाय, तिल,सोना, फल आदि दान में देना चाहिए।